राजस्थान में जनवरी 2012 से 238 तेंदुओं की मौत

photo courtesy: Hindustan Times
  • भारतीय वन्यजीव सुरक्षा समााज के अनुसार जनवरी 2012 से लेकर 21 मई 2018 तक राजस्थान में 238 तेंदुओं की मौत हो चुकी है। इसी रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में प्रतिवर्ष 24 तेंदुओं की मौत हो जाती है।
  • 84 की मौत प्राकृतिक या अप्राकृतिक कारणों से हो गई जबकि 52 सड़क/रेल दुर्घटना में और आपसी संघर्ष में मारे गए।
  • 24 की मौत कब्जे में या शिकार के दौरान हो गई जबकि गांव वालों ने 19 को मार दिया और 14 बाघों या अन्य जानवरों द्वारा मार दिए गए। इसके अलावा बिजली के तार के स्पर्श या बचाव के दौरान 7 तेंदुओं की मौत हो गई।
  • तेंदुओं की मौत की मुख्य वजहों में शामिल हैं; मानव-जानवर संघर्ष, शिकार की संख्या कम होने से पर्यावास से बाहर निकलना, सड़क/ट्रेन दुर्घटना।
  • ज्ञातव्य है कि भारत में तेंदुओं के संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट तेंदुआ आरंभ किया गया है।
  • भारत में वर्ष 2015 में तेंदुआ की पहली गणना कराई गई थी जिसके मुताबिक भारत में इनकी संख्या 12,000 से 14,000 है। इनमें 7910 बाघ पर्यावास में हैं।
  • उपर्युक्त गणना के मुताबिक सर्वाधिक 1817 मध्य प्रदेश में हैं।
  • उल्लेखनीय है कि तेंदुआ को बाघ की तरह ही वन्यजीव सुरक्षा एक्ट 1972 के तहत अनुसूची-1 का संरक्षण प्राप्त है।

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