भारत के कमलजीत एस. बावा को लिनियन मेडल

फोटो साभारः एटीआरईई

क्याः लिनियन मेडल
किसेः कमलजीत एस. बावा
क्योंः वनस्पतिविज्ञान में उपलब्धि

  • भारतीय वनस्पति विज्ञानी कमलजीत एस. बावा को वनस्पति विज्ञान (बॉट्नी) में लंदन की लिनियन सोसायटी का प्रतिष्ठित लिनियन मेडल (Linnean Medal) से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 1888 में स्थापित इस मेडल से सम्मानित होने वाले कमलजीत बावा प्रथम भारतीय हैं।
  • उन्हें उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों, उष्णकटिबंधीय निर्वनीकरण, गैर-काष्ठीय वन उत्पादों तथा मध्य अमेरिका में वनों की जैव विविधता पर कार्य करने के लिए लिनियन मेडल से सम्मानित किया गया।
  • वे बंगलुरू स्थित ‘अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एंड एनवायर्नमेंट’ यानी ‘एटीआरईई’ (Ashoka Trust for Research in Ecology and the Environment: ATREE) नामक गैर-लाभकारी संस्था के भी प्रेसिडेंट हैं।
  • वे कंजरवेशन एंड सोसायटी नामक पत्रिका के साथ-साथ ऑनलाइन सिटिजन साइंस रिपॉजिटरी ‘इंडियन बायोडॉयवर्सिटी पोर्टल’ के भी संस्थापक हैं।
  • प्रतिवर्ष लिनियन सोसाइटी ऑफ लंदन द्वारा एक जीवविज्ञानी को लिनियन मेडल प्रदान किया जाता है। लिनियन सोसायटी की स्थापना 1788 में हुयी थी तथा इसका नामकरण स्विडिश जीवविज्ञानी कार्ल लिनियस के नाम पर हुआ है जिन्होंने पौधों एवं जानवरों के नामकरण का एक तरीका विकसित किया था।
  • प्रथम लिनियन मेडल सर जोसेफ डी. हूकर को प्रदान किया गया था जिन्होंने ‘फ्रलोरा ऑफ ब्रिटिश इंडिया’ के सात संस्करण प्रकाशित किया था।

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