वैज्ञानिकों ने बनाया चलता-फिरता सौरकोल्ड स्टोरेज

शुभ्रता मिश्रा

वास्को-द-गामा (गोवा), 29 मई : भंडारण के अभाव में बड़ी मात्रा में फल और सब्जियां समय से पहले खराब हो जाते हैं। नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के कृषि इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिकों ने सौर ऊर्जा से संचालित मोबाइलकोल्ड-स्टोरेज यूनिट बनायी है, जो फल तथा सब्जियों को नष्ट होने से बचाने में मददगार हो सकती है।

न्यूनतम लागत पर फलों और सब्जियों केलंबे समय तक भंडारण के लिए बनाए गए इस कोल्ड-स्टोरेज की भंडारण क्षमता 4.85 घनमीटर है। इसमें 1000 किलोग्राम फल तथा सब्जियों काभंडारण इसमें किया जा सकता है। इसकी लंबाई 1.83 मीटर, चौड़ाई 1.34मीटर और ऊंचाई 1.98 मीटर है। इसे गैल्वनीकृत लोहे, पॉली-कार्बोनेट और प्लाईवुड की चादरों और ग्लास-वूल सेबनायागया है।इस कोल्ड-स्टोरेज में40 क्रेट्स हैं औरप्रत्येक क्रेट में 25 किलोग्राम फल और सब्जियां रखे जा सकते हैं। इस कोल्ड स्टोरेज पर किए गए अनुसंधान के नतीजे शोध पत्रिका करंट साइंस में प्रकाशित किए गए हैं।

कोल्ड स्टोरेज

इस कोल्ड-स्टोरेज में लगे पहियोंद्वारा इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है। इसमें सौरऊर्जा चालित 0.8 टन काएक एयरकंडीशनर लगाया गया है, जिससे कोल्ड-स्टोरेज के भीतर का तापमान 9.5 से 11 डिग्री सेल्सियस और आर्द्रता 73 से 92 प्रतिशत तक बनी रहती है।यह एयरकंडीशनर एक सौर फोटोवोल्टिक सिस्टम द्वारा चलाया जाता है। इस सिस्टम कोकुल आठ सौर पैनलों,एक सौर इन्वर्टर और चार बैटरियों वाले एक बैटरी-बैंक को मिलाकर बनाया गयाहै। इसे इस तरह तैयार किया गया है, जिससे दिन में अधिक से अधिक सौरऊर्जा का उपयोग किया जा सके।

इस कोल्ड-स्टोरेज को विकसित करने वाले वैज्ञानिक डॉ. पी.के. शर्मा ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “सौरऊर्जा से चलने वाले इस नए कोल्ड-स्टोरेज से बिजली की समस्या से जूझ रहे किसानों को सबसे अधिक राहत मिल सकती है। बिजली की बचत के साथ-साथ इससे कृषि उत्पादों के खराब होने की समस्या दूर होगी।कोल्ड-स्टोरेज के भीतर निम्न तापमान और उच्च सापेक्ष आर्द्रता के कारण टमाटर जैसे उत्पादों को बीस दिन तक ताजा बनाए रखा जा सकता है। इसके अलावा अन्य सब्जियों और फलों, जैसे- पालक, शिमलामिर्च, ककड़ी, लौकी, तौरई और पपीते को भी बीस दिनों तक सुरक्षित रखसकते हैं।”

कोल्ड स्टोरेज

 

डॉ. शर्मा के अनुसार,“सौर संचालित शीत कोल्ड-स्टोरेज का निर्माण भारत में अभी प्रयोगात्मक चरण में है। फिलहाल उपलब्ध शीत भंडारण ज्यादातर सुविधाएं बिजली चालित हैं। इनका उपयोग एक निश्चित तापमान पर सीमित उत्पादों जैसे- आलू, संतरा, सेब, अंगूर, अनार, फूलों इत्यादि के भंडारण के लिए ही हो पाता है।इससे फलों व सब्जियों की गुणवत्ता, ताजगी औरजीवन अवधि बनाए रखने में मदद मिलेगी।किसानों और छोटे सब्जी तथा फल-विक्रेताओं की आय भी बढ़ेगी।”

भारत विश्व में फल और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।लेकिन, पर्याप्त शीत भंडारण सुविधाएं नहीं होने से 30 से 35 प्रतिशत फल और सब्जियां लोगों तक पहुंचने से पहले ही खराब हो जाती हैं। किसानों को फलों और सब्जियों को तुरंत बाजार ले जाकर बेचने और गुणवत्ता खराब होने का नियमित दबाव बना रहता है। इस नए कोल्ड-स्टोरेज के उपयोग से किसान उत्तम गुणवत्ता की भंडारण सुविधाओं का लाभ छोटे स्तर पर अपनी आवश्यकतानुसार उठा सकेंगे।

अध्ययनकर्ताओं के अनुसार, उनके द्वारा बनाए गए इस कोल्ड स्टोरेज की लागत लगभग 1.72 लाख रुपये तक हो सकती है। इसमें 1000 किलोग्राम फलों तथा सब्जियों को भंडारित करने की लागत प्रतिदिन 6.07 रुपयेआती है।सिर्फ बिजली के खर्च की बचत से ही नौ सालों में इस कोल्ड-स्टोरेज की लागत निकल आती है। अध्ययनकर्ताओं में डॉ. पी.के. शर्मा के अलावाडॉ. एच.एस. अरुण कुमार भी शामिल थे।

Twitter handle: @shubhrataravi

(इंडिया साइंस वायर)

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