ई-वे बिल के बारे में आप क्या जानते हैं?

जीएसटी प्रणाली के तहत वस्तु एवं सेवाओं की अंतर-राज्यीय आवाजाही के लिए ई-वे बिल (E-way bill) का सृजन अनिवार्य करने वाली व्यवस्था 1 फरवरी, 2018 से लागू जरूर हो गयी परंतु पहले दिन ही इससे संबंधित प्लेटफॉर्म के क्रैश होने से ई-वे बिल सृजन की अनिवार्यता को थोड़े समय के लिए टाल दिया गया है। हालांकि इसका परीक्षण जारी रहेगा।
ई-वे बिल की जरूरत क्योंः दरअसल 1 जुलाई, 2017 से भारत में जीएसटी प्रणाली लागू हुयी थी। आशा की गई थी कि सभी राज्यों में कर के दर समान होने पर विक्रेता द्वारा एक राज्य में वस्तुओं एवं सेवाओं की बिक्री कर दूसरे राज्य में इनवाइस सृजित नहीं करेगा। परंतु ऐसा हुआ नही। बिक्रेताओं द्वारा सामान एक राज्य में बेचा जा रहा है तो उसका इनवाइस दूसरे में तैयार किया जा रहा है। इससे चेकपोस्ट पर वस्तुओं की आवाजाही प्रभावित हो रही थी। जबकि जीएसटी को आरंभ करने के पीछे एक ध्येय यह भी था कि चेकपोस्ट पर मालों का खेप को अधिक इंतजार नहीं करना पड़ेगा और वस्तुओं की सुगम आवाजाही सुनिश्चित हो सकेगा। ई-वे बिल लागू करने के पीछे एक अन्य वजह जीएसटी संग्रह का कम रहना रहा है। इस तरह से ई-वे बिल लागू करने के पीछे दो मुख्य उद्देश्य है:

  1. एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं की सुगम आवाजाही व
  2. कर अपवंचकों पर नजर रखना।

प्रमुख विशेषताएं

  • ई-वे बिल इलेक्ट्रॉनिक तरीके से सृजित दस्तावेज है।
  • इस प्रणाली के तहत किसी वस्तु के पारगमन से पूर्व उसका पूर्व-पंजीकरण कराना आवश्यक है।
  • जहां से वस्तु या सेवा की उत्पति हुयी है वहां से 10 किलोमीटर से अधिक का मार्ग तय करने वाली तथा 50,000 रुपये से अधिक के सभी खेपों के लिए ई-वे बिल का सृजन अनिवार्य होगा।
  • अभी यह व्यवस्था एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं की आवाजाही के लिए है परंतु यदि कोई राज्य चाहे तो राज्य के भीतर भी यह व्यवस्था लागू कर सकता है। वैसे 1 जून, 2018 से ई-वे बिल व्यवस्था राज्य के भीतर भी अनिवार्य हो जाएगी।
  • सौ किलोमीटर तक के लिए सृजित ई-वे बिल एक दिन के लिए वैध रहेगा जबकि 200 किलोमीटर के लिए यह दो दिनों के लिए वैध होगा। आगे इसी तरह क्रम चलता रहेगा।
  • जिस तिथि के लिए ई-वे बिल सृजित किया गया है, उसी दिन वस्तुओं के खेप गमन नहीं होने पर यह बिल 24 घंटों के भीतर रद्द हो जाएगा। यही नहीं परिवहन के साधनों को भी बदला जाता है तब भी दूसरा ई-वे बिल सृजित करना होगा। इसके अलावा यदि वस्तुओं को प्राप्त करने वाले व्यक्ति द्वारा वस्तु को लौटायी जाती है तो इस स्थिति में दूसरा ई-वे बिल सृजित करना होगा।
  • जीएसटी नेटवर्क के अनुसार ई-वे बिल पूरे भारत में वैध होगा और ट्रांसपोर्टर्स को किसी टैक्स कार्यालय या चेक पोस्ट पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
  • ई-वे बिल सृजित करने के लिए अनिवार्य होगा।
  • ई-वे बिल फल, सब्जियों, मछलियों, पानी तथा गैर-मोटर सुविधाओं जैसी वस्तुओं के लिए अनिवार्य नहीं है।
  • ई-वे बिल को सृजित करने के समय से 24 घंटे भीतर रद्द कराया जा सकता है।

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