मानव पूंजी सूचकांकः भारत की 115वीं रैंकिंग

  • विश्व बैंक द्वारा 11 अक्टूबर, 2018 को जारी ‘मानव विकास सूचकांक’ 2018 (Human capital Index ) में विश्व के 157 देशों में भारत की 115वीं रैंकिंग है।
  • भारत अपने एशियाई देशों चीन (46वीं), मलेशिया (55), इंडोनेशिया (87) से काफी पीछे है।
  • इस सूचकांक में सिंगापुर को सर्वोच्च रैंकिंग प्राप्त हुई है जबकि जापान, हांगकांग व फिनलैंड क्रमशः दूसरे, तीसरे व चौथे स्थान पर है।
  • विश्व बैंक के अनुसार मानव पूंजी में खराब निवेश भारत के भावी श्रमबल के लिए खतरा है। बैंक का यह भी कहना है कि सिंगापुर की तुलना में भारत की मानव पूंजी आधी होगी।
  • यह सूचकांक इस बात की जांच करता है कि यदि कोई बच्चा आज जन्म लेता है तो 18 वर्ष की उम्र होने पर कितनी मानव पूंजी की आशा कर सकता है।
  • इस सूचकांक के मुताबिक यदि कोई बच्ची आज जन्म लेती है और यदि पूरी शिक्षा व पूर्ण स्वास्थ्य हासिल करती है तो वह केवल 44 प्रतिशत उत्पादक हो सकती है।
  • यह भी कि कोई बच्चा जन्म लेता है तो उनमें से 96 प्रतिशत के 5 वर्ष की उम्र तक बचने की संभावना रहती है जो भारत में शिशु मृत्यु दर के अधिक होने का संकेतक है।
  • पूरे भारत में 15 वर्ष से अधिक उम्र के केवल 83 प्रतिशत लोग ही 60 वर्ष से अधिक जीवित रहने के बारे मेें सोच सकते हैं।
  • सूचकांक यह भी कहता है कि भारतीय बच्चे स्कूलों में अधिक नहीं सीख रहे हैं। आज 4 वर्ष की उम्र में जो बच्चा स्कूल में नामांकन लेता है उसे 18 वर्ष की उम्र होने तक स्कूल में 10.2 वर्ष व्यतीत कर पाएगा। भारत में स्कूल जाने की औसत उम्र 5.8 वर्ष है जो शिक्षा के अधिकार कानून पर सवाल पैदा करता है।
  • भारत सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। सरकार के मुताबिक इस सूचकांक की गणना पद्धति में खामियां हैं और आंकड़ों में भी काफी अंतराल है।

(Feature image: World Bank)

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