भारत को दी गई ‘जेनेरेलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रीफरेंसेज’ वापस ले सकता है अमेरिका

  • संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी व्यापार नीति ‘प्राथमिकता की सामान्य प्रणाली’ (Generalised System of Preferences: GSP) सूची से भारत का नाम हटाने पर विचार कर रहा है। वर्ष 2017 में डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ता में आने के पश्चात भारत के खिलाफ यह सबसे बड़ा कठोर कदम होगा।
  • इस प्रणाली के तहत अमेरिकिा में भारत लगभग 5.6 अरब डॉलर का निर्यात शून्य प्रशुल्क के तहत करता है।
    प्राथमिकता की सामान्य प्रणाली 1970 के दशक से है और भारत इस स्कीम का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा है।
  • माना जा रहा है कि यह कदम भारत द्वारा आमेजन व वालमार्ट जैसे ई-कॉमर्स के व्यवसाय करने के तरीकों पर कुछ प्रतिबंध लगाने के पश्चात उठाया जा सकता है। नए नियम के तहत आमेजन एवं फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स कंपनियों को ब्रिक्रेताओं के साथ नया समझौता करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है साथ ही उन्हें छूट देने एवं वेंडर के माध्यम से सामान बेचने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इन कदमों से आमेजन का व्यापार प्रभावित हुआ है। इसी तरह भारत ने मास्टर कार्ड एवं वीजा को
  • जिस तरह भारत में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा मेक इन इंडिया के तहत भारत में निवेश व विनिर्माण को बढ़ावा दे रहे हैं, अमेरिका में ट्रम्प भी अमेरिका फर्स्ट नीति के तहत अमेरिकी उत्पाद को प्राथमिकता देकर विभिन्न देशों के साथ व्यापार घाटा को कम कर रहे हैं। इसके लिए विभिन्न देशों को दी गई अमेरिकी छूट धीर-धीरे समाप्त की जा रही है। अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध इसी का परिणाम है।

क्या है जेनेरेलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रीफरेंसेज?

  • जेनेरेलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रीफरेंसेज अमेरिका का व्यापार कार्यक्रम है जिसके तहत विश्व के 129 विकासशील देशों के 4800 उत्पादों को अमेरिका में प्रशुल्क मुक्त प्रवेश प्रदान किया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व के गरीब देशों को विकास के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना है।
  • जीएसपी की स्थापना ट्रेड एक्ट 1974 के तहत 1 जनवरी, 1976 को गई थी

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