सकल घरेलू ज्ञान उत्पाद (जीडीकेपी) पर वर्कशॉप का आयोजन

  • केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रलयन ने भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के सौजन्य से 13 फरवरी, 2019 को सकल घरेलू ज्ञान उत्पाद (Gross Domestic Knowledge Product: GDKP)) एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन नई दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर में किया।
  • जीडीेकेपी के प्रणेता प्रोफेसर उम्बेर्टो सुलपास्सो भी इस कार्यशाला में शामिल हुए जिसका उद्घाटन नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ- राजीव कुमार ने किया।

क्या है जीडीकेपी?

  • अर्थव्यवस्था के उत्तरोतर विकास के साथ ही इस विकास के मुख्य संचालकों में भी परिवर्तन होता रहता है। परंतु इन परिवर्तनों में विकास इंजन का एक इंजन ‘ज्ञान’ आधुनिक युग में हमेशा से प्रभावशाली रहा है और विभिन्न रूपों में अपनी भूमिका निभाया है। जीडीकेपी इसी अवधारणा पर आधारित है।
  • इस अवधारणा के प्रेणता प्रोफेसर उम्बेर्टो सुलपास्सो हैं जो कि साउदर्न कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर डिजिटल फ्युचर में वरिष्ठ फैलो हैं।
  • यह अवधारणा ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के चार घटकों की पहचान करती हैः शोध एवं विकास तथा प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर आधारिक संरचना, सूचना आधारिक संरचना तथा शिक्षा एवं प्रशिक्षण।
  • यह जीडीपी तथा निजी निवेश की उचित भूमिका को बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चलता है। फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट एवं अल्फावेट की विशाल सफलता यह संकेतित करता है कि नई कंपनियां सफल स्टार्ट अप बनने के लिए ज्ञान को बेचेगी न कि वस्तुओं को।

भारत ही क्यों?

  • प्रोफेसर सुलपास्सो ने अपनी अवधारणा से जेड़े प्रथम कार्यक्रम के लिए भारत को चुना है। दरअसल भारत ने सूचना-संचार प्रणाली में वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली भूमिका निभाया है और ज्ञान अर्थव्यवस्था में में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • दूसरा यह कि भारत प्राचीन काल से ही ज्ञान को महत्व देती रही है। वेद प्राचीन ग्रंथ है और इसका मतलब ज्ञान होता है।

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