संकटापन्न प्रजातियों के संरक्षण के लिए भारत का एकमात्र प्रयोगशाला

  • केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री हर्षवर्धन ने 12 अगस्त, 2018 को हैदराबाद स्थित सीएसआईआर के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलेक्युलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) में देश का एकमात्र संकटापन्न प्रजाति संरक्षण केंद्र (Laboratory for the Conservation of Endangered Species: LaCONES) देश को समर्पित किया।
  • संकटापन्न वन्यजीवों के संरक्षण के लिए यह आधुनिक जैव-प्रौद्योगिकी केंद्र है।
  • यह (CCMB-LaCONES) भारत का एकमात्र प्रयोगशाला है जिसने वन्यजीवों के वीर्य व ओसीट (cryopreservation of semen and oocytes) संग्रह व क्रायोसंरक्षण का तरीका विकसित किया है और संकटापन्न ब्लैकबक (blackbuck), स्पॉटेड डीयर (spotted deer) व निकोबार पीजन (Nicobar pigeons) के सफलतापूर्वक पुनर्जनन किया है।
  • इस केंद्र ने ब्लू रॉक पीजन, स्पॉटेड डीयर एवं ब्लैकबक के सफल जनन के द्वारा इन प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने में मदद किया है। क्रायोप्रीजर्व्ड स्पर्म के कृत्रिम वीर्यारोपण (artificial insemination of cryopreserved sperm.) के द्वारा इसमें सफलता मिली है।
  • इस कार्य के द्वारा इस केंद्र ने भारतीय वन्यजीवों के लिए आनुवंशिक स्रोत बैंक (Genetic Resource Bank) स्थापित किया है।
  • ज्ञातव्य है कि नेहरू जूलॉजिक पार्क हैदराबाद के सहयोग से सीसीएमबी के वैज्ञानिकों ने इंडियन माउस डीयर के सफलतापूर्वक संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम के द्वारा विलुप्ति के कगार पर पहुंचने से बचा लिया है।
  • केंद्रीय मंत्री के अनुसार विश्व के सर्वाधिक जैव-विविध देशों में से एक होने के बावजूद भारत की सभी प्रजातियों का 14 प्रतिशत संकटापन्न हैं। इन्हें विलुप्त होने से बचाने के लिए ही संरक्षित प्रजजन की जरूरत है।

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