केंद्र सरकार द्वारा ‘एशियाई शेर संरक्षण परियोजना’ का शुभारंभ

  • केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने मुक्त रूप से विचरण करने वाले एशियाटिक शेर की अंतिम आबादी व उसके पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा एवं संरक्षण के उद्देश्य से “एशियाई शेर संरक्षण परियोजना” (The Asiatic Lion Conservation Project) शुरू की है।
  • “एशियाई शेर संरक्षण परियोजना” एशियाई शेर के संरक्षण और पुनर्प्राप्ति के लिए चल रहे उपायों को आधुनिक तकनीक / उपकरणों, नियमित वैज्ञानिक अनुसंधान अध्ययन, रोग प्रबंधन, आधुनिक निगरानी / गश्त तकनीक की सहायता से मजबूत करेगा।
  • परियोजना का कुल बजट 3 साल के लिए लगभग 9784 लाख रुपए है जो केंद्र प्रायोजित योजना ‘वन्यजीव पर्यावास विकास’ (सीएसएस-डीडब्ल्यूएच) (Centrally Sponsored Scheme- Development of Wildlife Habitat: CSS-DWH) से 60:40 के अनुपात में केंद्र और राज्य द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा।
  • कभी पूर्वी एशिया में फारस से झारखंड के पलामू में विचरण करने वाले एशियाई शेर अंधाधुंश शिकार एवं पर्यावास के कारण लगभग विलुप्ति हो गए थे। 1890 के अंत में गिर वन में भी 50 से भी कम शेर रह गए थे। किंतु केंद्र एवं राज्य सरकार के संरक्षण उपाय से इनकी संख्या 500 पहुंच गई है।
  • राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा किये गए उपायों से एशियाई शेरों की संख्या 500 से अधिक हो गयी है।
  • वर्ष 2015 में शेरों की गणना के मुताबिक 1648.79 वर्ग किमी. के गिर संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क में 523 एशियाई शेरों की आबादी पायी गयी। इस नेटवर्क में गिर राष्ट्रीय उद्यान, गिर अभयारण्य, पानिया अभयारण्य, मितीला अभयारण्य और उसके आसपास के संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं।
  • एशियाई शेरों का संरक्षण हमेशा भारत सरकार की प्राथमिकता रहा है। अतीत में मंत्रालय ने गुजरात में एशियाई शेर की रिकवरी के लिए 21 चरम संकटापन्न प्रजातियों की रिकवरी कार्यक्रम (21 critically endangered species for recovery programme) में एशियाई शेर को शामिल किया तथा सीएसएस-डीडब्ल्यूएच (CSS-DWH) के प्रजाति रिकवरी घटक के तहत वित्तीय सहायता प्रदान किया।।

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