- लोकसभा ने 19 दिसंबर, 2018 को सरोगेसी विधेयक 2016 पारित कर दिया।
- इस विधेयक के द्वारा वाणिज्यिक सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाया गया है।
- विधेयक के तहत केवल उन्हीें जोड़ों को सरोगेसी की अनुमति देने की व्यवस्था है जिन्हें बच्चा नहीं हो रहा है।
- केवल भारतीय नागरिकों को ही सरोगेसी की अनुमति होगी।
- इसके तहत केवल वैसे विवाहित जोड़ों को ही सरोगेसी की अनुमति होगी जिनके विवाह के कम से कम पांच साल हो गए हो।
- चिकित्सीय दृष्टिकोण से बांझ घोषित कर दिये गए जोड़ों के लिए उनके नजदीकी संबंधी ही सरोगेट हो सकेंगे।
- विधेयक के तहत राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड, राज्य सरोगेसी बोर्ड तथा उचित प्राधिकारों की व्यवस्था की गई है।
- जिन जोडि़यों के पास पहले से बच्चा होगा उन्हें सरोगेसी की अनुमति नहीं होगी।
- उपर्युक्त विधेयक के पारित होने से देश में गोद लेने की प्रक्रिया में वृद्धि होगी और इसे बढ़ावा मिलेगा जो सरोगेसी के कारण कम रही है। सेंट्रल एडोप्शन रिसोर्स अथॉरिटी के अनुसार अप्रैल 2017 से मार्च 2018 के बीच केवल 3276 बच्चों को ही गोद लिया गया।