केरल में वेस्ट नील वायरस का मामला

  • केरल के मालापुरम के एक सात वर्ष का बच्‍चा वेस्‍ट नील वायरस (डब्‍ल्‍यूएनवी: West Nile Virus-WNV) से पीडि़त होने की खबर आई है है।
  • केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री ने इस बीमारी की रोकथाम और प्रबंधन में केरल को सभी तरह का समर्थन देने का निर्देश दिया है।
  • वैसे पहली बार नहीं है जब भारत में वेस्ट नील वायरस का मामला सामने आया है। इससे पहले वर्ष 2006 में पूर्वोत्तर भारत में तथा वर्ष 2011 में केरल में ही इन्सेफलाइटिस के मरीजों में इस वायरस की उपस्थित की पुष्टि हुयी थी।

क्या है वेस्ट नील वायरस

  • यह मच्छर जनित बीमारी है और यह स्नायू बीमारी को जन्म दे सकता है और लोगों की मौत भी हो सकती है। हालांकि 80 प्रतिशत लोग जो इसके संक्रमण का शिकार होते हैं उनमें लक्षण नहीं दिखता।
  • यह फ्लैविवायरस समूह का वायरस है।
  • इस बीमारी से घोड़ों की भी मौत हो जाती है। आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि घोड़ों में इसके संक्रमण के खिलाफ टीका का विकास किया गया है परंतु मानव में इसके लिए कोई टीका नहीं है।
  • इस वायरस को पहली बार 1937 में मिस्र के पश्चिमी नील जिला में एक महिला में पाया गया।
  • फिलहाल यह बीमारी अफ्रीका, यूरोप, मध्य पूर्व, उत्तरी अमेरिका एवं पश्चिमी एशिया में पायी जाती है।

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