गगनयान-भारत का पहला मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम

  • केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री श्री जीतेंद्र सिंह तथा इसरो के अध्यक्ष श्री के- शिवन ने 28 अगस्त, 2018 को भारत के प्रथम मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ कार्यक्रम को उद्घाटित किया।
  • अपने स्‍वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा की गई घोषणा के अनुसार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2022 तक भारत का पहला भारतीय मानव मिशन शुरू करेगा।
  • इसरो के अध्यक्ष डा. के शिवन के अनुसार इसरो इस कार्य को दिए गए समय अवधि में पूरा करने में सक्षम है। इसरो के लिए यह एक बडी जिम्मेदारी है और चुनौती पूर्ण कार्य है, लेकिन इसे पूरा किया जाएगा।
  • यह कार्यक्रम भारत को मानव अंतरिक्ष यान मिशन शुरू करने वाला दुनिया का चौथा देश बना देगा। अब तक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन ने मानव अंतरिक्ष यान मिशन शुरू किया है।
  • प्रधानमंत्री ने अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन के दौरान ‘गगनयान-भारत का पहला मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम’ की घोषणा की थी। उन्होंने घोषणा की थी कि 2022 (भारतीय स्वतंत्रता के 75 साल) तक या उससे पहले भारत की धरती से भारतीय यान द्वारा भारत की कोई एक लड़की या लड़का अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
  • गगनयान को लॉन्च करने के लिए जीएसएलवी एमके-3 लॉन्च व्हिकल का उपयोग किया जाएगा जो इस मिशन के लिए आवश्यक पेलोड क्षमता से परिपूर्ण है।
  • अंतरिक्ष में मानव भेजने से पहले दो मानव रहित गगनयान मिशन किए जाएंगे। 30 महीने के भीतर पहली मानव रहित उड़ान के साथ ही कुल कार्यक्रम के 2022 से पहले पूरा होने की उम्मीद है।
  • मिशन का उद्देश्य पांच से सात वर्षों के लिए अंतरिक्ष में तीन सदस्यों का एक दल भेजना है।
  • इस अंतरिक्ष यान को 300-400 किलोमीटर की निम्न पृथ्वी कक्षा में रखा जाएगा। कुल कार्यक्रम की लागत 10,000 करोड़ रुपये से कम होगी।
  • इसमें एक चालक दल मॉड्यूल, सेवा मॉड्यूल और कक्षीय मॉड्यूल शामिल होगा जिसका वजन लगभग 7 टन होगा और इसे रॉकेट द्वारा भेजा जाएगा। चालक दल मॉड्यूल का आकार 3.7 मीटर x 7 मीटर होगा।
  • इसरो द्वारा लिया गया यह अब तक का काफी महत्वकांक्षी और बेहद जरूरी अंतरिक्ष कार्यक्रम है क्योंकि इससे देश के अंदर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। यह देश के युवाओं को भी बड़ी चुनौतियां लेने के लिए प्रेरित करेगा और देश की मर्यादा को बढ़ाने में भी सहयोग करेगा।
  • इसरो ने इस कार्यक्रम के लिए आवश्यक पुन: प्रवेश मिशन क्षमता, क्रू एस्केप सिस्टम, क्रू मॉड्यूल कॉन्फ़िगरेशन, तापीय संरक्षण व्यवस्था, मंदन एवं प्रवर्तन व्यवस्था, जीवन रक्षक व्यवस्था की उप-प्रणाली इत्यादि जैसी कुछ महत्वपूर्ण तकनीकों का विकास किया है। इन प्रौद्योगिकियों में से कुछ को अंतरिक्ष कैप्सूल रिकवरी प्रयोग (एसआरई -2007), क्रू मॉड्यूल वायुमंडलीय पुन: प्रवेश प्रयोग (केयर -2014) और पैड एबॉर्ट टेस्ट (2018) के माध्यम से सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया गया है। ये प्रौद्योगिकियां इसरो को 4 साल की छोटी अवधि में कार्यक्रम के उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम बनाएगी।
  • इस मिशन को जटिल बताते हुए इसरो के अध्यक्ष ने कहा कि यह सही मायने में इसरो, अकादमिक, उद्योग और अन्य सरकारी एवं निजी हितधारकों की भागीदारी के साथ एक राष्ट्रीय प्रयास होगा। कार्यक्रम में तेजी लाने के लिए इसरो दोस्ताना देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ ही उन्नत अंतरिक्ष कार्यक्रमों का सहयोग लेने पर विचार कर सकता है।
  • गगनयान मिशन के निम्नलिखित उद्देश्य हैंः
    • देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के स्तर में वृद्धि
    • एक राष्ट्रीय परियोजना जिसमें कई संस्थान, अकादमिक और उद्योग शामिल हैं
    • औद्योगिक विकास में सुधार
    • प्रेरणादायक युवा
    • सामाजिक लाभ के लिए प्रौद्योगिकी का विकास
    • अंतरराष्ट्रीय सहयोग में सुधार
  • इसरो के अध्यक्ष डॉ. शिवन के अनुसार चन्द्रयान-2 अब जनवरी 2019 में लॉन्च कर दिया जाएगा। इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई है।
  • इसरो का लक्ष्य मार्च, 2019 तक 19 मिशन लॉन्च करना है। इन मिशनों में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के लिए 4 उपग्रह लॉन्च किए जाएंगे।

Written by 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *