तमिलनाडु के अत्तिराम्पक्कम से आधुनिक मानव के उपकरणों की खोज

  • दक्षिण भारत में पाषाणकालीन मानव के प्रमाण मिलते रहे हैं और यह पाषाणकालीन भारतीय इतिहास के निर्माण में सहायक भी रहे हैं। परंतु तमिलनाडु में चेन्नई के पास ‘अत्तिराम्पक्कम’ (Attirampakkam) से जो उपकरण मिले हैं वह भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक मानव इतिहास के लिए अनूठा है। ये उपकरण यह सिद्ध कर सकता है कि आधुनिक मानव के इतिहास में भारत ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है और अफ्रीका से आधुनिक मानव का जो उत्प्रवासन हुआ उसमें भारत भी एक कड़ी हो सकता है। हालांकि अभी इस निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगा।
  • नेचर पत्रिका में ‘शर्मा सेंटर फॉर हेरिटेज फाउंडेशन’ के शांति पप्पु द्वारा सह-लिखित एक शोध के अनुसार अत्तिराम्पक्कम से मध्य पाषाणकाल के कुंद कुल्हाड़ी मिले हैं जो 250,000 वर्ष से लेकर 3,85,000 वर्ष पुराने हो सकती हैं। इस कुल्हाड़ी का मिलना इस बात का द्योतक है कि भारत में मध्यपाषाणकाल पहले के अनुमान से सैकड़ों हजार वर्ष पहले आरंभ हुआ था। भारत के बारे में माना जाता रहा है कि यहां मानव 1,40,000 वर्ष पहले आये होंगे। यदि ऐसा है तो फिर अत्तारिपपक्कम जो मध्य पाषाणकालीन कुल्हाड़ मिले हैं, उसे किसने बनाया? अब सवाल के उत्तर खोजने होंगे।


  • हालांकि जहां से ये उपकरण प्राप्त हुये हैं वहां से और कोई अवशेष प्राप्त नहीं हुये हैं जिससे यह अनुमान लगाना कठिन है कि इसे आधुनिक मानव होमोसेपिएंश ने बनाये या उनके नजदीकी होमिनिंस ने। यदि इसे आधुनिक मानव ने बनाया है तो फिर मानव का इतिहास काफी रोचक हो सकता है।
  • इस खोज से अफ्रीका से आधुनिक मानव के उत्प्रवासन, जो कि 60000 वर्ष पहले माना जाता है, पर वैज्ञानिक और प्रकाश डाल सकते हैं। हालांकि हाल में इजरायल की मिस्लिया गुफा से आधुनिक मानव के जबरा मिलने के पश्चात अफ्रीका से मानव के उत्प्रवासन के समय पर फिर से बहस आरंभ हो गयी है। इजराइल में मिले मानव दांत अवशेष 1,94,000 वर्ष पुराना माना जा रहा है।
  • दरअसल आधुनिक मानव का विकास अफ्रीका में हुआ। मोरक्को के जेबेल इरहाउद में आधुनिक मानव के 3,00,000 वर्ष पुरानी हड्डियां मिली हैं। वहां से वे 60,000 वर्ष पहले निकले। इस क्रम में होमोसेपिएंश को उनके प्राचीन संबंधी होमिनिन्स मिले होंगे जिनके बारे में कहा जाता है कि वे 17 लाख वर्ष पहले अफ्रीका से उत्प्रवास किये थे।
  • होमिनिंस जब निकले तब उनके पास पाषाण निर्मित अंडाकार हस्त कुल्हाड़ी थी जिसे ‘एश्युलियन’ (Acheulean) प्रौद्योगिकी नाम दिया गया है। अत्तिराम्पक्कम में जो 10 लाख वर्ष पहले का प्राचीनतम उपकरण मिले हैं वे इसी से मिलते हैं। किंतु जब दूसरे चरण की खुदाई की गई तब चट्टानों के नीचे आधुनिक हथियार मिले वे पहले की तुलना में आधुनिक व कम भारी हैं। एक ऐसा उपकरण भी प्राप्त हुआ है जिसमें फेंकने वाला भाला को लगाया जा सकता है। इस तरह की प्रौद्योगिकी को आधाुनिक नीएंडरथल्स या होमोसेपिंश मानव से जोड़कर देखा जाता रहा है। ऐसे आधुनिक हथियाराें को ‘लेवालोइस’ (Levallois) प्रौद्योगिकी कहा जाता रहा हे। अत्तिराम्पक्कम के ये हथियार 250,000 वर्ष से लेकर 3,85,000 वर्ष पुराने हैं। ऐसे में भारतीय शोधकर्त्ता का अनुमान है कि आधुनिक मानव का अफ्रीका से उत्प्रवासन कहीं पहले हुआ होगा और उसके तार कहीं न कहीं भारत से भी जुड़े होंगे। हालांकि कुछ मानव विज्ञानियों ने भारत में मिली इस प्रौद्योगिकी को लेवालोइस से जोड़ने के प्रति सावधान रहने को कहा है।

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