दुर्लभ ‘सुपर ब्लू ब्लड मून’ 1982 के पश्चात पहली बार

  • 31 जनवरी, 2018 को एक दुर्लभ भौगोलिक परिघटना का साक्षी विश्व बन रहा है।
  • उत्तरी अमेरिका, एशिया, मध्य पूर्व, रूस इत्यादि जगहों पर दुर्लभ ‘सुपर ब्लू ब्लड मून’ (super blue blood moon), यानी सब एक साथ दिखाई देंगे।
  • भारत सहित पूर्वी गोलार्ध के देशों में वर्ष 1982 के पश्चात यह परिघटना पहली बार घटित हो रही है और इसके पश्चात यह वर्ष 2037 में ही घटित होगी।
  • वहीं पश्चिमी गोलार्द्ध में यह परिघटना 1866 के पश्चात यानी विगत 150 वर्षों में पहली बार घटित हो रही है। इस दुर्लभ भौगोलिक परिघटना में तीन घटनाएं शामिल हैं:
    1. ब्लू मूनः (Blue Moon): यानी एक ही माह में पूर्ण चंद्र दूसरी बार घटित हो, तो दूसरे पूर्ण चंद्र को ब्लू मून कहा जाता है। ‘वन्स इन अ ब्लू मून’ नामक मुहावरा भी इसी से बना है जिसका मतलब है दुर्लभ होना।
    2. सुपरमून (Supermoon): तब चंद्रमा पृथ्वी से काफी नजदीक हो (पेरिजी) और यह सामान्य दिनों की अपेक्षा 30 प्रतिशत चमकीला व 14 प्रतिशत अधिक बड़ा दिखे।
    3. ब्लड मून (Blood Moon): पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान वायुुमंडल से परावर्तित सूर्य की किरणों का चंद्रमा से टकराना जिससे उसका रंग चमकीले भूरा रंग का हो जाना।
    एपोजी व पेरिजी में अंतरः जब चंद्रमा व पृथ्वी के बीच की दूरी अधिकतम होती है तो उसे एपोजी कहते हैं, वहीं जब ये दोनों एक-दूसरे से सबसे नजदीक होते हैं तो उसे पेरिजी कहते हैं।

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