ब्रिटेन के परमाणु संलयन रिएक्टर ने बनाया नया विश्व रिकॉर्ड

यूरोपीय वैज्ञानिकों ने व्यावहारिक परमाणु संलयन (nuclear fusion) विकसित करने की अपनी खोज में एक बड़ी सफलता हासिल की है। ऊर्जा प्रक्रिया जो सितारों को शक्ति प्रदान करती है।

  • यूनाइटेड किंगडम स्थित संयुक्त यूरोपीय टोरस (Joint European Torus: JET) प्रयोगशाला ने हाइड्रोजन के दो अणुओं को एक साथ मिलाकर जितनी ऊर्जा प्राप्त की है, उससे उसने अपना ही पिछला विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
  • यूनाइटेड किंगडम के कुल्हम में ‘कृत्रिम सूर्य’ परमाणु रिएक्टर ने कुल 59 मेगाजूल ऊर्जा जारी की, जो कि पांच सेकंड में औसतन 11 मेगावाट से अधिक के बिजली उत्पादन के बराबर है।
  • हालांकि यह बहुत अधिक ऊर्जा उत्पादन नहीं है क्योंकि इससे केवल लगभग 60 केतली के पानी को उबालने के लिए पर्याप्त है – फिर भी यह 25 साल पहले स्थापित किए गए पिछले फ्यूजन रिकॉर्ड से दोगुना से अधिक जरूर है।
  • यह 1997 में इसी तरह के परीक्षणों में हासिल किए गए दोगुने से भी अधिक है।
  • यदि परमाणु संलयन को पृथ्वी पर सफलतापूर्वक प्राप्त किया जाता है तो यह कम कार्बन, कम विकिरण युक्त ऊर्जा की लगभग असीमित आपूर्ति की क्षमता रखता है।
Image source: BBC

क्या है परमाणु संलयन की प्रक्रिया?

  • परमाणु संलयन वह प्रक्रिया है जिससे सूर्य समेत तमाम तारों को ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • कृत्रिम परमाणु संलयन के लिए नाभिकीय रिएक्टर में ड्यूटेरियम और ट्रिटियम को ईंधन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
  • ये दोनों तत्व हाइड्रोजन परमाणु के ही समस्थानिक हैं।
  • इन कणों को क़रीब 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाता है। इतना अधिक तापमान की ज़रूरत इसलिए पड़ती है क्योंकि धरती पर सूर्य के केंद्र में मौजूद भारी दबाव की स्थिति पैदा किया जाना असंभव है।
  • इस तापमान पर ड्यूटेरियम और ट्रिटियम आपस में मिल कर हीलियम अणु का निर्माण करते हैं। इससे तेज़ गति के न्यूट्रॉन मुक्त होते हैं।
  • नाभिकीय संलयन पर आधारित बिजली संयंत्र में ऐसी व्यवस्था होगी कि न्यूट्रॉनों को अतिसक्रियता से पैदा होने वाली ऊष्मा को विद्युत टरबाइन चलाने में इस्तेमाल किया जा सके।
  • परमाणु संलयन की प्रक्रिया से बिजली उत्पादन करना कई कारणों से पारंपरिक परमाणु ऊर्जा (परमाणु विखंडन) से बेहतर है जिसमें कि परमाणु विखंडन के सिद्धांत को अमल में लाया जाता है।
  • परमाणु संलयन संयंत्र में समुद्र के सामान्य जल को ईंधन के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है।
  • ऐसे संयंत्र से न तो कोई ग्रीन हाउस गैस पैदा होता है और न ही रेडियोधर्मी कचरा पैदा होता है।

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