सुंदरबन में बाघ-पीडि़त बाली द्वीप का कायाकल्‍प

सुंदरबन के घने मैंग्रोव इलाकों में निस्‍तेज बाघ-पीडि़त बाली द्वीप का ऐतिहासिक कायाकल्‍प हुआ है। यह द्वीप जो आजादी के बाद से ही विकास की मुख्यधारा से पूरी तरह से कट गया था, अब खादी गतिविधियों से गतिमान हो गया है।

  • बाली द्वीप में सौ से अधिक बाघ विधवाएं (स्थानीय भाषा में इन्‍हें बाग बिधोबा कहा जाता है) है। ये 2018 में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) की कताई गतिविधि से जुड़ी थीं।
  • ये अब आधुनिक सुविधाओं और चरखा, करघे जैसे आधुनिक उपकरणों और विपणन सहायता पर गर्व कर सकती हैं। इन महिला कारीगरों को ये सुविधाएं स्थायी आजीविका प्रदान करने के लिए उपलब्‍ध कराई गई हैं।
  • इस द्वीप में खादी गतिविधियों को शुरू करने के लिए केवीआईसी ने तीन साल पहले एक अस्थायी ढांचा स्थापित किया था, जिसे अब स्थायी वर्कशेड में परिवर्तित कर दिया गया है।
  • बाली द्वीप में खादी गतिविधियों से बाघ विधवाओं की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित होगी, क्‍योंकि बाघों के हमलों में इनके परिवारों के कमाने वाले व्‍यक्तियों की मृत्‍यु के बाद इनका भविष्‍य अंधकारमय हो गया था।
  • केवीआईसी ने वर्ष 2018 में बाली द्वीप में कताई केन्‍द्र का उद्घाटन किया था और कताई गतिविधि के लिए स्थानीय महिला कारीगरों को 75 चरखे वितरित किए थे। केवीआईसी ने द्वीप में स्वरोजगार उपलब्‍ध कराने के लिए इस द्वीप के आर्थिक रूप से‍ पिछड़े लोगों को सशक्त बनाने के लिए जीवित मधुमक्खी कॉलोनी वाले 500 मधुमक्खी-बक्से भी वितरित किए थे।

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