स्वतंत्रता संग्राम की भारत की गुमनाम नायिकाओं पर एक सचित्र पुस्तक का विमोचन

केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने 27 जनवरी को नई दिल्ली में आजादी का महोत्सव के हिस्से के रूप में स्वतंत्रता संग्राम की भारत की गुमनाम नायिकाओं पर एक सचित्र पुस्तक का विमोचन किया। पुस्तक को अमर चित्र कथा के साथ मिलकर जारी किया गया है, जो कि भारत का एक लोकप्रिय प्रकाशन है।

  • इस अवसर पर श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने कहा कि यह पुस्तक उन कुछ महिलाओं के साहसपूर्ण जीवन का वर्णन करती है, जिन्होंने इस अभियान का नेतृत्व किया तथा पूरे देश में विरोध एवं विद्रोह की मशाल जलाई। उदाहरण के लिए रानी अब्बक्का ने कई दशकों तक पुर्तगालियों के हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया।
  • कर्नाटक के उल्लाल की रानी, रानी अब्बक्का ने 16वीं शताब्दी में शक्तिशाली पुर्तगालियों से लड़ाई लड़ी और उन्हें पराजित किया।
  • शिवगंगा की रानी वेलु नचियार ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाली पहली भारतीय रानी थीं। झलकारी बाई एक महिला सैनिक थीं, जो झांसी की रानी की प्रमुख सलाहकारों में से एक बन गईं और भारतीय स्वतंत्रता की पहली लड़ाई, 1857 में एक प्रमुख हस्ती बन गईं।
  • मातंगिनी हाजरा बंगाल की एक बहादुर स्वतंत्रता सेनानी थीं, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
  • गुलाब कौर एक स्वतंत्रता सेनानी थीं, जिन्होंने भारतीय लोगों को ब्रिटिश राज के खिलाफ लड़ने और संगठित करने के लिए अपने जीवन की आशाओं और आकांक्षाओं का त्याग किया।
  • चकली इलम्मा एक क्रांतिकारी महिला थीं, जिन्होंने 1940 के दशक के मध्य में तेलंगाना विद्रोह के दौरान जमींदारों के अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
  • सरोजिनी नायडू की बेटी पद्मजा नायडू और अपने आप में एक स्वतंत्रता सेनानी, जो स्वतंत्रता के बाद पश्चिम बंगाल की राज्यपाल और बाद में एक मानवतावादी बनीं।

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