ईल (बाम मछली) की तीन नई प्रजातियों की बंगाल की खाड़ी में खोज

जूलॉजिक सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों ने बंगाल की खाड़ी में ईल मछली की तीन प्रजातियों को खोजा है। इन तीन प्रजातियों की खोज में जूलॉजिक सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक अनिल मोहपात्रा ने महत्ती भूमिका निभायी है। इन तीन प्रजातियों का विशेषताओं सहित उल्लेख जूटाक्सा पत्रिका में है। जो तीन प्रजातियां खोजी गईं हैं, वे निम्नलिखित हैं;

  • 1. जिमनोथोरैक स्यूडोटाइल (Gymnothorax pseudotile): इसे बंगाल की खाड़ी के दीघा तट पर खोजा गया। यह लगभग 1 से 1.5 फीट लंबी है।
  • 2. जिम्नोथोरैक्स विजकेंसिस (Gymnothorax visakhaensis): भूरे रंग की यह ईल मछली बंगाल की खाड़ी के विशाखापट्टनम तट से खोजी गयी है।
  • 3. एंसेलीकोर प्रॉपिनकुआ (Enchelycore propinqua): लाला-भूरे रंग की इस ईल मछली को भी बंगाल की खाड़ी के विशाखापट्टनम तट पर खोजा गया है।
  • ज्ञातव्य है कि वर्ष 2016 में भी बंगाल की खाड़ी में डॉ- मोहपात्र ने जिम्नोथोरैक्स इंडिकस नामक ईल की खाने योग्य प्रजाति की खोज की थी।
  • इसी तरह वर्ष 2015 में जिम्नोथोरैक्स मिश्राई नामक ईल की प्रजाति बंगाल की खाड़ी के तट पर पायी गई थी।

ईल मछली के बारे

    • ज्ञातव्य है कि ईल मछलियां नदियों एवं समुद्रों के तल में प्राप्त होती हैं। ये सांप की तरह दिखती जरूर हैं पर हैं ये मछली। समुद्रों में पायी जानी वाली ईल अक्सरहां काली या भूरे रंग की होती हैं।
    • ये मांसाहारी होती हैं।
    • पूरे विश्व में ईल की 1000 प्रजातियां पायी जाती हैं।
    • भारत में ईल की 125 प्रजातियां पायी जाती हैं।
    • ईल की मुरेनिदेई प्रजाति जिसे मोरे ईल भी कहा जाता है, की ही 200 से अधिक प्रजातियां हैं जिनमें 30 भारत में पायी जाती हैं।
    • दक्षिण अमेरिका के आमेजन व ओरिनोको नदियों में इलेक्ट्रिक ईल पायी जाती हैं परंतु वास्तव में ये ईल होती नहीं हैं। ये कैटफिश के अधिक नजदकी होती हैं। ये अपने शिकार को अचेत करने के लिए एक बार में 6000 वोल्ट की ईलेक्ट्रिक आवेश सृजित कर सकती हैं।



Written by 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *