इलेक्ट्रॉल बाण्ड स्कीम

राजनीतिक फंडिंग को पारदर्शी व स्वच्छ बनाने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2 जनवरी, 2017 को इलेक्ट्रॉल बाण्ड स्कीम की अधिसूचना जारी किया।
इस बॉण्ड की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  1. -देश का कोई भी नागरिक या कंपनी पंजीकृत राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआइ) की चुनिंदा शाखाओं से चुनावी बांड 1000 रुपये, 10,000 रुपये, 1,00,000 रुपये, दस लाख रुपये और एक करोड़ रुपये तक का चुनावी बांड खरीद सकेगा।
  2. –यह प्रॉमिसरी नोट प्रकृति की होगी, साथ ही ब्याज मुक्त बैंकिंग व्यवस्था।
  3. -राजनीतिक दल इस चुनावी बांड को अपने निर्धारित बैंक खाते में जमाकर भुना सकेंगे।
  4. -चुनावी बांड से सिर्फ वे राजनीतिकपार्टियां ही चंदा ले पाएंगी जिन्हें पिछले लोकसभा चुनाव या राज्य विधानसभा चुनाव में कम से कम एक प्रतिशत वोट मिले हैं।
  5. -वित्त वर्ष 2017-18 के बजट भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश में राजनीतिक फंडिंग पारदर्शी बनाने के लिए चुनावी बांड जारी करने की घोषणा की थी।
  6. -कोई भी नागरिक या देश में रजिस्टर्ड कंपनी इस बांड के जरिये प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत दल को दान दे सकेगा।
  7. -चुनावी बांड खरीदने वालों के नाम सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे। वह किस दल को यह चुनावी बांड देगा इसकी जानकारी गोपनीय रखी जाएगी।
  8. -चुनावी बांड राजनीतिक दल के सिर्फ एक बैंक खाते में ही भुनाया जा सकेगा जिसकी सूचना उसे चुनाव आयोग को देनी होगी।
  9. -साथ ही आयोग को यह भी बताना होगा कि चुनावी बांड से उसे कुल कितना चुनावी चंदा मिला है।
  10. -चुनावी बांड जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में दस दिन के भीतर इन शाखाओं से खरीदे जा सकेंगे।
  11. -जिस साल लोकसभा के लिए आम चुनाव होंगे उस साल बांड खरीदने के लिए 30 दिन की अवधि मिलेगी। यह अवधि केंद्र सरकार अधिसूचित करेगी। हालांकि बांड की वैधता अवधि सिर्फ 15 दिन की होगी। इसका मतलब यह है कि जिस तारीख को यह जारी किया गया है, उसके 15 दिन के भीतर राजनीतिक दल को इसे अपने खाते में जमा करके भुनाना होगा।
  12. -उपर्युक्त समयसीमा इसलिए तय की गई है ताकि इसका इस्तेमाल समानांतर मुद्रा की तरह न हो।
  13. -चुनावी बांड का उद्देश्य राजनीतिक फंडिंग को पारदर्शी और स्वच्छ बनाना है। अब तक यह आलोचना रही है कि पिछले 70 साल में जो व्यवस्था चली आ रही है उसमें राजनीतिक फंडिंग में कितना पैसा आता है, किस तरीके से आता है। किन लोगों से आता है। इसलिए सरकार ने इस स्थिति को बदलने के लिए चुनावी बांड की वैकल्पिक व्यवस्था बनाई है।

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