ओपन एकरेज लाइसेंसिंग प्रोग्राम का दूसरा निविदा चरण प्रारंभ

  • केन्‍द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने 7 जनवरी, 2019 नई दिल्‍ली में खुला भूमिक्षेत्र लाइसेंस कार्यक्रम (निविदा चरण-2) के लिए एनआईओ और एमआरएससी का शुभारंभ किया।
  • इस निविदा चरण में लगभग 30,000 वर्ग किलोमीटर के भूमिक्षेत्र में स्थित 14 ई एंड पी ब्‍लॉकों के लिए निवेशक समुदाय से निविदाएं आमंत्रित की गई है। ये निविदाएं एचईएलपी के तहत आमंत्रित की गई है, जो निवेशक अनुकूल हैं। 10 ब्‍लॉक, निवेशकों द्वारा प्रस्‍तुत अभिव्‍यक्ति की रूचि पर आधारित है और चार ब्‍लॉकों को सरकार ने राष्‍ट्रीय भूकंप कार्यक्रम तथा संसाधन पुनर्मूल्‍यांकन रिपोर्ट के आधार पर चिन्ह्ति किया है।
  • भारत विश्‍व में ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्‍ता है और आने वाले वर्षों में देश में ऊर्जा खपत तेजी से बढ़ेगी। इस बढ़ती मांग को पूरा करने तथा ऊर्जा सुरक्षा व पर्याप्‍तता के संदर्भ में प्रधानमंत्री के विजन के आलोक में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने हाल के वर्षों में कई महत्‍वपूर्ण सुधार किये है। नई अन्‍वेषण लाइसेंसिंग नीति के स्‍थान पर हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (Hydrocarbon Exploration and Licensing Policy: HELP) को मार्च, 2016 में मंजूरी दी गई थी। राष्‍ट्रीय आंकड़ा भंडार (National Data Repository: NDR) के साथ खुला भूमिक्षेत्र लाइसेंस कार्यक्रम (Open Acreage Licensing Programme: OALP) को जून, 2017 में लांच किया गया था। इसका उद्देश्‍य भारत में अन्‍वेषण और उत्‍पादन (ई एंड पी) से संबंधित गतिविधियों को गति प्रदान करना था। इस कार्यक्रम के तहत 6 आवर्ती निविदा चरण शामिल किये गये है और इसकी शुरूआत 01 जुलाई, 2017 को की गई थी।
  • ओएएलपी के अंतर्गत पहला निविदा चरण जनवरी, 2018 को लांच किया गया था और यह चरण मई, 2018 में समाप्‍त हुआ। अक्‍टूबर, 2018 में 59,282 वर्ग किलोमीटर के कुल क्षेत्रफल वाले 55 ब्‍लॉक प्रदान किये गये। सरकार ओएएलपी निविदा चरण-3 को अंतिम रूप दे रही है और इसके तहत अगले कुछ सप्‍ताहों में 32,000 किलोमीटर के कुल क्षेत्रफल के लिए निविदाएं जारी की जाएगी। सरकार ने अन्‍वेषण के रकबे में वृद्धि की है। 2017 में अन्‍वेषण का रकबा लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर था, जो ओएएलपी-1 में बढ़कर 1,50,000 वर्ग किलोमीटर हो गया। ओएएलपी-2 में यह रकबा बढ़कर 2,10,000 वर्ग किलोमीटर हो गया है। मई, 2019 तक चरण-3 के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल 3,00,000 वर्ग किलोमीटर (2019 के अंत तक) हो जाने की संभावना है। 2019 में चरण-4 और चरण-5 को अंतिम रूप दिये जाने की संभावना है।
  • एचईएलपी के तहत लाइसेंस कार्यक्रम से ‘‘व्‍यापार करने में आसानी’’ बेहतर होगी, क्‍योंकि यह राजस्‍व साझा प्रारूप पर आधारित है। इसमें रॉयल्‍टी दरों को कम किया गया है, कोई तेल अधिभार नहीं है, मूल्‍य निर्धारण और विपणन की सुविधा है, पूरे वर्ष भर अभिरूचि की अभिव्‍यक्ति को प्रस्‍तुत किया जा सकता है, प्रत्‍येक छह महीने में निविदाएं आमंत्रित की जाती है तथा पारंपरिक और गैर-पारंपरिक हाइड्रोकार्बन संसाधनों के लिए एक ही लाइसेंस की व्‍यवस्‍था की गई है।
  • प्रस्‍ताव आमंत्रण सूचना (एनआईओ) के लांच होने के पश्‍चात् बोली लगाने वाले राष्‍ट्रीय आंकड़ा भंडार (एनडीआर) पर आंकड़ों का अध्‍ययन कर सकते है और निविदा के लिए ब्‍लॉक का चयन कर सकते है। निविदा की बोली लगाने वाले अपनी निविदाएं 08 जनवरी, 2019 से शुरू होने वाले पोर्टल पर ऑनलाइन जमा कर सकते है। यह निविदा चरण 12 मार्च, 2019 तक जारी रहेगी। ये ब्‍लॉक 7 बेसिनों में स्थित है। ओएएलपी-2 के अंतर्गत 8 ब्‍लॉक (भूमि), 5 ब्‍लॉक (समुद्र तट के निकट) और 01 ब्‍लॉक (गहरे समुद्र में) शामिल हैं। संभावना है कि 500-600 मिलियन डॉलर के निवेश के साथ ओएएलपी चरण-2 के तहत अन्‍वेषण का कार्य शीघ्र प्रारंभ होगा।

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