भारत और नीदरलैंड ने संयुक्त सहयोग के रूप में लोटस-एचआर के दूसरे चरण का शुभारंभ किया

नीदरलैंड के राजा विलेम-अलेक्जेंडर और नीदरलैंड की रानी मैक्सिमा की यात्रा के दौरान स्‍वस्‍थ्‍य पुन: उपयोग सयंत्र के लिए शहरी सीवेज स्ट्रीम के स्‍थानीय उपचार यानि ‘लोटस-एचआर’ ( Local Treatment of Urban Sewage streams for Healthy Reuse: LOTUS-HR) ) कार्यक्रम के दूसरे चरण का 14 अक्टूबर 2019 को केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने संयुक्‍त शुभारंभ किया।

यह कार्यक्रम बारापुल्ला ड्रेन दिल्‍ली की जल प्रयोगशाला में आयोजित किया गया।

दूसरे चरण में प्रतिदिन दस हजार एल सीवेज जल का उपचार किया जाएगा। डच और भारतीय कंपनियां अपनी मौजूदा प्रौद्योगिकियों को साझा करके इस परियोजना में योगदान कर रही हैं। कंपनियों द्वारा यह प्रदर्शन भी किया जाएगा कि किस प्रकार शहरी गंदे पानी को उपचारित करके स्‍वच्‍छ जल में बदलकर विभिन्‍न कार्यों में प्रयोग किया जा सकता है।

जुलाई, 2017 में शुरू की गई इस परियोजना का उद्देश्‍य एक अच्‍छी समग्र अपशिष्‍ट जल प्रबंधन पहुंच का प्रदर्शन करना है। जिसमें स्‍वच्‍छ जल का उत्‍पादन होगा और उसे विभिन्‍न कार्यों में दोबारा प्रयोग किया जा सकेगा।

इस नवाचारी पाइलेट स्‍केल मॉडयूलर सयंत्र में कार्य शुरू होने पर प्रतिदिन दस हजार लीटर सीवेज जल का उपचार होगा और उपयोग‍कर्ताओं को आत्‍मनिर्भर मॉडल उपलब्‍ध होगा। इस पाइलेट स्‍केल सेवा में विविध प्रौद्योगिकियां शामिल होंगी ताकि पाइलेट स्‍केल पर उत्‍पन्‍न डेटा दिल्‍ली और देश के अन्‍य स्‍थलों के लिए उपचार प्रौद्योगिकी द्वारा उपकरण पेटी बन जाए।

इस पेटी में प्रौद्योगिकियों के मिश्रण और मिलान का उचित नाली के पानी की मात्रा, गुणवत्‍ता और भूमि उपलब्‍धता, स्‍थल पंहुच के साथ भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करेगा।

लोटस-एचआर परियोजना विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा नीदरलैंड सरकार के वैज्ञ‍ानिक अनुसंधान/एसटीडब्‍ल्‍यू के लिए नीदरलैंड संगंठन द्वारा संयुक्‍त रूप से प्रायोजित है। 

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