देश में टीबी उन्‍मूलन के लिए विश्व बैंक के साथ 400 मिलियन डॉलर का ऋण समझौता

  • विश्व बैंक और भारत सरकार ने 27 जून 2019 को टीबी नियंत्रण के लिए कवरेज और गुणवत्तापरक उपाय बढ़ाने के लिए 400 मिलियन डॉलर का ऋण समझौता किया।
  • इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से 400 मिलियन डॉलर के ऋण की परिपक्वता 19 वर्ष की है, जिसमें 5 वर्ष की छूट अवधि शामिल है
  • देश में प्रतिवर्ष टीबी से लगभग पांच लाख लोगों की मौत होती है। विश्व बैंक समर्थित कार्यक्रम के तहत देश के नौ राज्यों को कवर किया जाएगा।
  • टीबी उन्मूलन के विश्व बैंक के कार्यक्रम से भारत सरकार की वर्ष 2025 तक देश से टीबी समाप्त करने की राष्ट्रीय रणनीतिक योजना में सहायता की जाएगी। इस कार्यक्रम से औषधि प्रतिरोधी टीबी के बेहतर निदान और प्रबंधन में मदद मिलेगी और देश में टीबी की जांच और उपचार में जुटे सार्वजनिक संस्थानों की क्षमता बढ़ेगी।
  • देश में टीबी नियंत्रण के लिए विश्व बैंक और भारत सरकार के बीच दो दशक से अधिक समय से सफल साझेदारी है। वर्ष 1998 से बैंक की सहायता से जनजातीय परिवारों, एचआईवी रोगियों और बच्चों सहित गरीब तथा उच्च जोखिम वाले समूहों के लिए सीधे जांच उपचार और सेवाओं को बढ़ाने, निदान और गुणवत्तापरक टीबी देखभाल के लिए व्‍यापक पहुंच और बहु-औषधि प्रतिरोधी टीबी सेवाएं शुरू करने में योगदान दिया गया है।
  • ऋण समझौते पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामला विभाग में अपर सचिव श्री समीर कुमार खरे और विश्व बैंक की ओर से एक्टिंग कंट्री डायरेक्‍टर श्री शंकर लाल ने हस्ताक्षर किए।
  • औषधि प्रतिरोधी टीबी (Drug resistant TB ) सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है और टीबी पीडि़तों की बढ़ती संख्या के बावजूद, देश में प्रतिवर्ष दस लाख से अधिक “लापता” मामले सामने आते हैं, जिनमें से अधिकतर की जांच ही नहीं हो पाती है या अपर्याप्त जांच होती है और निजी तौर पर उपचार किया जाता हैं। आशंकित टीबी रोगी की देरी से देखभाल, सही उपचार नहीं करवाना और अनियंत्रित निजी क्षेत्र सहित टुकड़े-टुकड़े में स्वास्थ्य देखभाल सेवा प्रदाताओं के कारण यह समस्‍या और बढ़ी है।
  • देश में आधे से अधिक टीबी के मरीजों का इलाज निजी तौर पर किया जा रहा है। ऐसे मामले देश में टीबी नियंत्रण के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्‍य यह सुनिश्चित करना है कि निजी क्षेत्र टीबी का समय पर निदान कर सूचित और प्रभावी प्रबंधन के स्थापित प्रोटोकॉल का पालन करें। इस कार्यक्रम के जरिए टीबी के मामलों की सूचना देने के लिए निजी क्षेत्र के देखभाल प्रदाताओं को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनके मरीज पूरा उपचार करें। इससे उपचार के दौरान आवश्‍यक महत्वपूर्ण पोषण के लिए रोगियों के खाते में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण भी किया जाएगा। इस कार्यक्रम से भारत सरकार की वेब आधारित टीबी मामले की निगरानी प्रणाली – निक्‍क्षय की निगरानी और कार्यान्वयन सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी।
  • इस कार्यक्रम से औषधि प्रतिरोधी टीबी की पहचान, उपचार और निगरानी को भी बढ़ाया जाएगा और अतिरिक्त औषधि प्रतिरोध का पता लगाने में प्रगति पर नजर रखी जाएगी। यह एनएसपी के सफल कार्यान्वयन के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर संस्थागत क्षमता की जरूरतों को पूरा करने के वास्‍ते मानव संसाधन योजना विकसित और लागू करने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की भी मदद करेगा।

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