मंत्रिमंडल ने पेट्रोलियम मंत्रालय को आईईए बायो-एनर्जी टीसीपी का सदस्य बनने को दी मंजूरी

  • केन्द्रीय मंत्रिमंडल को 28 फरवरी, 2019 को अवगत कराया गया कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय 25 जनवरी, 2019 को आईईए बायो-एनर्जी टीसीपी ( IEA Bioenergy TCP ) का 25वां सदस्य बना है। इसके अन्य सदस्यों में ऑस्ट्रलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, ब्राजील, कनाडा, क्रोएशिया, डेनमार्क, एस्तोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, स्विटजरलैंड, इंग्लैंड, अमेरीका और यूरोपीय संघ शामिल हैं।
  • बायो-एनर्जी (आईईए बायो-एनर्जी टीसीपी) संबंधी अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी सहयोग कार्यक्रम विभिन्न देशों के बीच सहयोग के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है। इसका उद्देश्य बायो-एनर्जी अनुसंधान और विकास में राष्ट्रीय कार्यक्रमों वाले देशों के बीच सहयोग तथा सूचनाओं के आदान-प्रदान में सुधार करना है।
  • आईईए बायो-एनर्जी टीसीपी, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के दायरे में काम करता है, जिसमें 30 मार्च, 2017 से भारत की स्थिति ‘सम्बद्ध’ की रही है।
  • पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा आईईए बायो-एनर्जी टीसीपी में शामिल होने का प्रमुख उद्देश्य उन्नत बायो ईंधन के विपणन को सुविधा देना है, ताकि उत्सर्जन में कमी लाई जा सके और कच्चे तेल के आयात में कटौती हो सके। आईईए बायो-एनर्जी टीसीपी बायो एनर्जी अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास, प्रदर्शन और नीति-विश्लेषण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सूचनाओं के आदान-प्रदान का मंच भी प्रदान करता है। इस संबंध में बायो-एनर्जी प्रौद्योगिकियों के अल्प और दीर्घकालिक तैनाती के लिए पर्यावरण, संस्थागत, प्रौद्योगिकिय, सामाजिक और बाजार बाधाओं को दूर करने पर ध्यान दिया जाता है।
  • आईईए बायो-एनर्जी टीसीपी में अऩुसंधान एवं विकास कार्य सुपरिभाषित 3 वर्ष की अवधि के भीतर किया जाता है तथा इन कार्यक्रमों को ‘नियत कार्य’ कहा जाता है। हर वर्ष इन नियत कार्यों की जांच और मूल्यांकन किया जाता है तथा हर तीन वर्षों के दौरान नियत कार्य के विषय को दुरुस्त किया जाता है तथा नए नियत कार्य शुरू किये जाते हैं। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय जिन नियत कार्यों में भाग लेता है, उनमें सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं विपणन कंपनियों के तकनीकी व्यक्ति भी योगदान देते हैं।
  • आईईए बायो-एनर्जी टीसीपी में भागीदारी करने के लाभ साझा लागत और तकनीकी संसाधनों में सहयोग हैं। प्रयासों का दोहराव नहीं होता और राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास क्षमताएं मजबूत होती हैं। उत्कृष्ट व्यवहारों, अनुसंधानकर्ताओं के नेटवर्क और व्यावहारिक कार्यान्वयन के साथ अनुसंधान के जुड़ाव संबंधी सूचनाओं का आदान-प्रदान भी होता है। अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों की संलिप्तता से मंत्रालय को बायो ईंधन सेक्टर में विश्व भर में होने वाले विकासों की जानकारी मिलती है। इसके कारण नवाचार कर्ताओं/ अनुसंधान कर्ताओं के साथ व्यक्तिगत बातचीत का अवसर मिलता है तथा उचित नीति ईको प्रणाली तैयार करने में मदद मिलती है। इसके अलावा आईईए बायो-एनर्जी टीसीपी का सदस्य बनने से भारत अन्य संबंधित नियत कार्यों में हिस्सा ले सकता है, जिनका संबंध बायो गैस, ठोस कचरा प्रबंधन, बायो परिशोधन इत्यादि है। इस संबंध में देश के अन्य मंत्रालय/ विभाग/ संगठन भी भाग ले सकते हैं।

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