वर्ष 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में राष्ट्रपति भवन में 15 जून, 2019 को नीति आयोग की शासी परिषद् यानी गवर्निंग काउंसिल की पांचवीं बैठक (Fifth Governing Council Meeting of NITI Aayog ) का आयोजन किया गया। इसमें जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल, 26 मुख्यमंत्रियों, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल, विशेष तौर पर आमंत्रित सदस्यों और पदेन सदस्यों के तौर पर केंद्रीय मंत्रियों ने हिस्सा लिया। नीति आयोग के उपाध्यक्ष, सदस्यों, मुख्य कार्यकारी अधिकारी और वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया।

2024 तक 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था

  • प्रधानमंत्री ने सहकारी संघवाद की प्रेरणा देने वाले मंच के तौर पर नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल के महत्व को रेखांकित किया और गरीबी, बेरोजगारी, सूखा, प्रदूषण, अल्प विकसित इलाकों और भारत की प्रगति को बाधित करने वाले ऐसे सब कारकों का सामूहिक रूप से मुकाबला करने पर जोर दिया। उन्होंने बल देते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य 2022 तक एक नए भारत का निर्माण करने के लिए इस महान देश की पूरी क्षमता का एहसास करना और 2024 तक 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है।
  • प्रधानमंत्री ने हर राज्य द्वारा देश की जीडीपी में हिस्सेदारी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए संबंधित राज्य अपनी निर्यात क्षमता का मूल्यांकन करें और रोजगार में तेजी लाने व निर्यात बढ़ाने के लिए जरूरी कदम तय करें।

जल संचयन

  • प्रधानमंत्री ने जल संचयन की दिशा में राज्यों के प्रयासों की प्रशंसा की और सभी राज्यों से अनुरोध किया कि नवीन जल प्रबंधन उपायों को सुव्यवस्थित करें और क्रियान्वित करें। केंद्र सरकार द्वारा जल शक्ति मंत्रालय का निर्माण करना, जल पर एक विकास संबंधी संसाधन के तौर पर एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • पानी की बर्बादी घटाने, सभी राज्यों में कुशल जल संचयन उपायों को प्रोत्साहित करने और सक्रिय नीति व निवेश समर्थन के साथ वर्षा जल के संग्रहण को घरेलू और सामुदायिक स्तर पर लाने को लेकर एक व्यापक सहमति इस दौरान बैठक में बनी। विभिन्न मुख्यमंत्रियों ने अपने राज्यों के ऐसे सर्वश्रेष्ठ उपायों को पेश किया जिन्हें पूरे देश में दोहराए जाने लायक नमूनों की तरह उपयोग में लाया जा सकता है।
  • महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना, गुजरात और कर्नाटक जैसे कई राज्यों ने जल संचयन और वर्षाजल संग्रहण को लेकर अच्छे उपायों को अपनाया है। ऐसे कुछ नवीन कदमों में जलयुक्त शिवार महाराष्ट्र शामिल है जिसने 11,000 गांवों को सूखा मुक्त किया, मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान है जिसके नतीजतन 21 जिलों के भूजल स्तर में 5 फुट का इज़ाफा हुआ और तेलंगाना का मिशन काकतीया है जिससे 19 लाख एकड़ क्षेत्रफल में सिंचाई होती है। इसी प्रकार से गुजरात में सुजलाम सुफलाम और कर्नाटक में कृत्रिम रिचार्ज योजना ने दिखाया है कि दृढ़ निश्चय पाली कार्रवाई से अच्छे नतीजे पैदा होते हैं। इस बैठक की मूल भावना हर राज्य की मजबूती को आधार बनाकर आगे बढ़ने की थी ताकि हर राज्य दूसरे राज्यों के नवाचारों और सर्वश्रेष्ठ उपायों से सीख सके।

आकांक्षी जिला कार्यक्रम

  • गवर्निंग काउंसिल ने आकांक्षी जिला कार्यक्रम (Aspirational Districts Programme) के क्रियान्वयन की भी समीक्षा की जो समावेशी विकास को चलाने वाला एक प्रमुख नीतिगत नवाचार बनकर उभरा है। मानवीय और सामाजिक विकास के 49प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों पर इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले सभी आकांक्षी जिलों में तीव्र प्रगति हासिल की गई है। कई मुख्यमंत्रियों ने अपने राज्यों में भी इस कार्यक्रम की सफलता देखी और दूर-दराज के व मुश्किल इलाकों में तेज़ विकास के लिए इस कार्यक्रम के विस्तार के लिए संभावित योजनाओं पर चर्चा की ताकि समावेशी विकास की भावना को प्रभावी रूप से लागू किया जा सके। प्रधानमंत्री ने जिला प्रशासन समूहों की तारीफ की जिन्होंने संबंधित आकांक्षी जिलों में कई अभिनव तरकीबें लागू कीं जिनके नतीजतन कई जिलों में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया।

वामपंथी उग्रवाद

  • प्रधानमंत्री ने वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला करने को लेकर अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया और रेखांकित किया कि कई आकांक्षी जिले नक्सलवादी हिंसा से ग्रस्त हैं। उन्होंने काउंसिल को आश्वस्त किया कि गृह मंत्रालय निर्णायक रूप से वामपंथी उग्रवादी हिंसा को खत्म करने के लिए सभी प्रभावित राज्यों के साथ समन्वय करेगा और इन क्षेत्रों में विकास के एजेंडे को चलाएगा।
  • केंद्रीय गृह मंत्री ने वामपंथी उग्रवादी हिंसा से प्रभावित इलाकों में विकास और सुरक्षा के लिए पिछले पांच वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की ओर विशेष ध्यान दिलाया जिसे लेकर 2015 की राष्ट्रीय नीति एवं कार्य योजना के मजबूत क्रियान्वयन के ज़रिए महत्वपूर्ण सफलता पाई जा सकी है। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती जैसे मूलभूत कदमों ने माओवादियों के खिलाफ स्थायी ऑपरेशन अंजाम देने में मदद की है।
  • उन्होंने काउंसिल को यह भी बताया कि इन इलाकों में सड़क और दूरसंचार ढांचे को विकसित करने को लेकर भी उतना ही मजबूत ध्यान दिया जा रहा है। 18,000 करोड़ रुपये की लागत से 11,000किलोमीटर लंबी सड़कें निर्मित की जा रही हैं जिनमें से 5,500 किलोमीटर लंबी सड़कें तो बनाई भी जा चुकी हैं। दूरसंचार कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए 2335 मोबाइल टावर लगाए जा चुके हैं और अगले चरण में 11,000 करोड़ रुपये की लागत वाले 4072 टावर लगाए जाएंगे।

2025 तक टीबी का अंत करने के लक्ष्य

  • स्वास्थ्य क्षेत्र को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि कई लक्ष्यों को ध्यान में रखा जाना है जिन्हें 2022 तक हासिल करना है।
  • उन्होंने 2025 तक टीबी का अंत करने के लक्ष्य का भी जिक्र किया। जिन राज्यों ने अब तक आयुष्मान भारत के अंतर्गत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाय) योजना लागू नहीं की है उनसे प्रधानमंत्री ने अनुरोध किया कि वे जल्द से जल्द इस योजना से जुड़ जाएं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और कल्याण हमारे हर फैसले का केंद्र बिंदु होना चाहिए।

कृषि में ढांचागत सुधारों पर एक उच्च-अधिकार प्राप्त समिति

  • प्रधानमंत्री ने कृषि में ढांचागत सुधारों पर एक उच्च-अधिकार प्राप्त समिति बनाने की घोषणा की। उन्होंने इस पर आगे कहा कि मौजूदा समय में वैश्विक परिस्थितियां भारत को एक विशेष अवसर प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि भारत खुद को ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ यानी कारोबार करने में आसानी जैसे वैश्विक मानदंडों पर स्थापित कर रहा है। वर्ष 2024 तक 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री ने राज्यों से अनुरोध किया कि अपनी अर्थव्यवस्था को वे 2 से 2.5 गुना तक बढ़ाने का लक्ष्य करें जिससे आम आदमी की क्रय शक्ति बढ़ेगी। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से कहा कि वे अपने राज्यों की निर्यात क्षमता का अध्ययन करें और निर्यात प्रोत्साहन पर काम करें।

नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल

  • नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल में भारत के प्रधानमंत्री, सभी राज्यों और विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री व अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल, पदेन सदस्यों के रूप में चार केंद्रीय मंत्री और विशेष आमंत्रितों के तौर पर तीन केंद्रीय मंत्री होते हैं। यह देश की एक प्रमुख संस्था है जिसका जिम्मा विकास के कथानक को आकार देने में राज्यों की सक्रिय हिस्सेदारी के साथ राष्ट्रीय विकास वरीयताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों के एक साझे दृष्टिकोण को विकसित करना है।
  • इसकी पहली बैठक 8 फरवरी, 2015 को हुई थी जिसमें प्रधानमंत्री ने सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने और राज्यों की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से राष्ट्रीय विषयों को संबोधित करने जैसे नीति आयोग के प्रमुख कार्यों को तय किया था। गवर्निंग काउंसिल की दूसरी बैठक 15 जुलाई, 2015 को हुई थी और तीसरी बैठक 23 अप्रैल, 2017 को हुई जिसने रणनीति और विजन दस्तावेजों के माध्यम से देश के विकास कार्यक्रम को आकार देने में मील के पत्थर रखे।
  • गवर्निंग काउंसिल की चौथी बैठक 17 जून, 2018 को हुई जिसमें किसानों की आय दोगुनी करने के लिए उठाए गए कदम और आयुष्मान भारत, पोषण अभियान एवं मिशन इंद्रधनुष जैसी अग्रणी योजनाओं के अंतर्गत हुई प्रगति की समीक्षा करना शामिल था।
  • नीति आयोग का काम राज्यों के साथ लगातार ढांचागत सहयोग पहल और तंत्रों के जरिए सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना है और इस बात को मान्यता देना है कि मजबूत राज्य ही मजबूत देश बनाते हैं। नीति आयोग रणनीतिक, दीर्घकालिक नीतिगत रूपरेखा और कार्यक्रम पहलों को तैयार करने, उनके क्रियान्वयन में सहयोग करने और उनकी प्रगति व प्रभाव की निगरानी करने का प्रयास करता है।
  • सहकारी संघवाद के लक्ष्यों की प्रतीक ये गवर्निंग काउंसिल ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना के साथ राष्ट्रीय विकास कार्यक्रम को तेजी से क्रियान्वित करने में अंतर-क्षेत्रीय, अंतर-विकास और संघीय विषयों पर विचार-विमर्श का मंच प्रदान करता है।

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