देश की 33 प्रतिशत तट रेखा कटाव का शिकार

Representative image (Photo: geograph.org.uk)
  • केंद्रीय भू-विज्ञान मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान परिष्द (National Centre for Coastal Research: NCCR) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1990 से 2016 के बीच भारत का 33 प्रतिशत कटाव की दौर से गुजरा है।
  • पांच उपग्रहों की सहारा से नौत तटीय राज्यों एवं दो केंद्रशासित प्रदेशों (अंडमान-निकोबार को छोड़कर) के 7517 किलोमीटर लंबी तट रेखा में से 6632 किलोमीटर का सर्वेक्षण 26 वर्षों में किया गया।
  • इस सर्वे के अनुसार 26 वर्षों में 2533 किलोमीटर यानी कुल 38 प्रतिशत तटरेखा यथावत रही, 2156 किलोमीटर (33 प्रतिशत) कटाव का शिकार हुयी जबकि शेष 1941 किलोमीटर तट रेखा का विस्तार हुआ।
  • राज्यों में पश्चिम बंगाल का 534 किलोमीटर तट रेखा (राज्य का 63 प्रतिशत) कटाव का शिकार हुई। इसके पश्चात पुदुच्चेरी (57 प्रतिशत), केरल (45 प्रतिशत) का स्थान है।
  • ओडिशा की 282 किलोमीटर (कुल का 51 प्रतिशत) तट रेखा का विस्तार हुआ।
  • जहां कटाव तट रेखा में नकारात्मक बदलाव का संकेतक होता है। वहीं तट रेखा का विस्तार आमतौर पर कटाव की तरह नकारात्मक बदलाव का संकेत नहीं है फिर भी डेल्टा पारितंत्र के लिए यह नकारात्मक परिणाम वाला होता है क्योंकि जल का प्रवाह कम होने से ही तट रेखा का विस्तार होता है।

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