यमुना पर लखवाड़ बहुउद्देश्‍यीय परियोजना के निर्माण के लिए समझौता ज्ञापन

  • केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री श्री नितिन गडकरी ने 28 अगस्त, 2018 ऊपरी यमुना बेसिन क्षेत्र में 3966.51 करोड़ रुपये की लागत वाली बहुउद्देशीय लखवाड़ परियोजना के निर्माण के लिए उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री श्री योगी आदित्‍यनाथ, राजस्‍थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्‍धरा राजे, उत्‍तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल, दिल्‍ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर के साथ नई दिल्‍ली में एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए।
  • इस परियोजना के पूरा हो जाने पर इन सभी राज्यों में पानी की कमी की समस्या का समाधान होगा, क्योंकि इससे यमुना नदी में हर वर्ष दिसंबर से मई/जून के सूखे मौसम में पानी के बहाव में सुधार आएगा।
  • लखवाड़ परियोजना को आरंभ में 1976 में मंजूरी दी गई थी, लेकिन इस परियोजना पर कार्य 1992 में रोक दिया गया। लखवाड़ परियोजना के अंतर्गत उत्‍तराखंड में देहरादून जिले के लोहारी गांव के नजदीक यमुना नदी पर 204 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनना है।
  • बांध की जल संग्रहण क्षमता 330.66 एमसीएम होगी। इससे 33,780 हेक्‍टेयर भूमि पर सिंचाई की जा सकेगी और यमुना बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्‍यों में घरेलू तथा औद्योगिक इस्‍तेमाल और पीने के लिए 78.83 एमसीएम पानी उपलब्‍ध कराया जा सकेगा। परियोजना से 300 मेगावाट बिजली का उत्‍पादन होगा। परियोजना के निर्माण का कार्य उत्‍तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड करेगा।
  • लखवाड़ परियोजना की कुल 3966.51 करोड़ रुपये की लागत में से उत्‍तराखंड सरकार बिजली का 1388.28 करोड़ रुपये का खर्च उठाएगी। परियोजना पूरी हो जाने के बाद तैयार बिजली का पूरा फायदा उत्‍तराखंड को मिलेगा।
  • परियोजना से जुड़े सिंचाई और पीने के पानी की व्‍यवस्‍था वाले हिस्‍से के कुल 2578.23 करोड़ के खर्च का 90 प्रतिशत (2320.41 करोड़ रुपये) केन्‍द्र सरकार वहन करेगी जबकि बाकी 10 प्रतिशत का खर्च छह राज्‍यों के बीच बांट दिया जाएगा। इसमें हरियाणा को 123.29 करोड़ रुपये (47.83%), उत्‍तर प्रदेश/ उत्‍तराखंड 86.75 करोड़ रुपये (33.65%)राजस्‍थान को 24.08 करोड़ रुपये (9.34%)दिल्‍ली को 15.58 करोड़ रुपये (6.04%) तथा हिमाचल प्रदेश को 8.13 करोड़ रुपये (3.15%) देने होंगे।
  • लखवाड़ परियोजना के तहत संग्रहित जल का बंटवारा यमुना के बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्‍यों के बीच 12.05.1994 को किये गये समझौता ज्ञापन की व्‍यवस्‍थाओं के अनुरूप होगा। लखवाड़ बांध जलाशय का नियमन यूवाईआरबी के जरिए किया जाएगा। केवल संग्रहित जल के बंटवारे को छोड़कर बांध के निर्माण के कारण पनबिजली उत्‍पादन सहित अन्‍य सभी आर्थिक फायदे उत्‍तराखंड को मिलेंगे।
  • उत्‍तराखंड, उत्‍तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्‍थान और दिल्‍ली छह ऊपरी यमुना बेसिन राज्‍य हैं। ऊपरी यमुना से तात्‍पर्य यमुना नदी का उसके उद्भव से दिल्‍ली में ओखला बराज तक है। छह राज्‍यों ने यमुना नदी के ऊपरी बहाव के आवंटन के सम्‍बन्‍ध में 12 मई, 1994 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए थे। समझौते में ऊपरी यमुना बेसिन में संग्रहण की सुविधा सृजित करने की आवश्‍यकता को पहचाना, ताकि नियंत्रित तरीके से नदी के मानसून के पानी के बहाव का संरक्षण और उसका इस्‍तेमाल किया जा सके। समझौता ज्ञापन में संग्रहण सुविधा के अंतर्गत नदी के वार्षिक इस्‍तेमाल योग्‍य पानी के बहाव के अंतरिम मौसमी आवंटन की भी व्‍यवस्‍था की गई थी।
  • लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के अलावा ऊपरी यमुना क्षेत्र में किशाऊ और रेणुकाजी परियोजनाओं का निर्माण भी होना है। चौथी परियोजना व्‍यासी परियोजना है, जिसके अंतर्गत देहरादून जिले के व्‍यासी गांव के नजदीक यमुना नदी पर कंक्रीट के बांध का निर्माण होना है। व्‍यासी परियोजना दिसंबर 2018 तक शुरू होने की उम्‍मीद है।
  • किशाऊ परियोजना के तहत यमुना की सहायक नदी टौंस पर देहरादून जिले में 236 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनाया जाएगा, जिसकी संग्रहण क्षमता 1324 एमसीएम होगी। इससे 97000 हेक्‍टेयर जमीन पर सिंचाई की जा सकेगी, 517 एमसीएम पेयजल उपलब्‍ध कराया जा सकेगा और 660 मेगावाट बिजली का उत्‍पादन होगा। रेणुकाजी बहुउद्देशीय परियोजना के तहत यमुना की सहायक नदी गिरि पर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में 148 मीटर ऊंचे बांध का निर्माण किया जाएगा। इससे दिल्‍ली को 23 क्‍यूबिक पानी की आपूर्ति होगी और बिजली की सबसे अधिक मांग के दौरान 40 मेगावाट बिजली का उत्‍पादन हो सकेगा।
  • 1994 के समझौता ज्ञापन के अनुसार, यमुना नदी के ऊपरी क्षेत्रों में पानी के संग्रहण की प्रत्‍येक परियोजना के लिए छह बेसिन राज्‍यों के बीच अलग-अलग समझौते होने थे। ऊपरी यमुना बेसिन (लखवाड़ सहित) में इन सभी संग्रहण परियोजनाओं के पूरा होने के बाद 130856 हेक्‍टेयर अतिरिक्‍त भूमि को सिंचाई का लाभ मिल सकेगा, विभिन्‍न इस्‍तेमाल के लिए 1093.83 एमसीएम पानी उपलब्‍ध होगा और बिजली उत्‍पादन क्षमता 1060 मेगावाट होगी।

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