सरिस्का से कर सकेंगे अंतरिक्ष का दीदार

  • उमाशंकर मिश्र (Twitter handle : @usm_1984)

अलवर, 5 मार्च (इंडिया साइंस वायर): शहरों में वायु और प्रकाश प्रदूषण की वजह से रात में आसमान में सितारों को देखना कठिन हो गया है। इसीलिए वैज्ञानिकों द्वारा उपयोग की जाने वाली वेधशालाएं दूरदराज के क्षेत्रों में स्थापित की गई हैं। दूर होने के साथ-साथ ये वेधशालाएं आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। इन्हीं कमियों को दूर करने के लिए एक नई वेधशाला की शुरुआत सरिस्का बाघ अभ्यारण्य के पास अरावली की पहाड़ियों में की गई है।

सरिस्का में स्थित वेधशाला

यहां आकर आम लोग भी आकाशगंगा, निहारिकाओं, ग्रहों और तारों से मुलाकात कर सकते हैं।अंतरिक्ष की कहानियों के साथ यहां नक्षत्रों को देखने का सिलसिला शाम ढलने के साथ शुरू होता है, जो रात भर चलता रहता है। मंगल, शुक्र और बृहस्पति जैसे ग्रह, आकाशीय चमत्कार, ओरियन नेबुला, एंड्रोमेडा, सॉल्ट ऐंड पेपर समूह और प्लीडीज तारा समूह, जिसे हम कृतिका नक्षत्र कहते हैं, को भी इस वेधशाला में टेलीस्कोप की मदद से देखसकते हैं।

यहां पर वायु एवं प्रकाश प्रदूषण रहित आसमान में बिखरे सितारे और तारों के समूह में छिपी आकृतियों को देखना एक रोमांचक अनुभव होता है।एस्ट्रोनॉमी इवेंट्स, खगोलीय ज्ञान पर आधारित इंटरैक्टिव सत्र, अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित प्रदर्शनी और रात में एस्ट्रोफोटोग्राफी से यह अनुभवयादगार बन जाता है।

कोसानी वेधशाला का एक दृश्य

सबसे पहले एस्ट्रोफोटोग्राफी से जुड़े उपकरणों और तकनीक से परिचय कराया जाता है।सुबह की आकाशीय यात्रा में शनि और उसके छल्ले, बृहस्पति और उसके चंद्रमा, रिंग नेबुला, डंबल नेबुला और ग्रेट हरक्यूलिस ग्लोब्युलर क्लस्टर आदि टेलीस्कोप के जरिये देखे जा सकते हैं।

इस अनुभव को वेधशाला में लगाया गया आठ इंच का गोटो टेलिस्कोप आकर्षक बना देताहै। इसकी मदद से आकाशगंगाओं, नेबुला, तारा-समूह, ग्रहों और चंद्रमा को देखा जा सकता है। अंतरिक्ष और खगोल संग्राहलय भी इस वेधशाला का हिस्सा हैं। पर्यटकों और छात्रों के अलावा यह वेधशाला शोधकर्ताओं के लिए भी उपयोगी हो सकती है।

यह वेधशाला दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। अरावली की खूबसूरत वादियों में अलवर-जयपुर रोड पर आमोद समूह के अलवर बाग रिसॉर्ट में प्रदूषित हवा और प्रकाश प्रदूषण से मुक्त स्थान पर इसे स्थापित किया गया है।

सरिस्का में स्थापित यह एक निजी क्षेत्र की वेधशाला है, जो स्टारगेट समूह की पहल पर स्थापित की गई है। स्टारगेट समूह देशभर में चुनिंदा जगहों पर ऐसी वेधशालाओं की श्रृंखला बना रहा है। सरिस्का में स्टारगेट द्वारा यह दूसरी वेधशाला स्थापित की गई है। इससे पहले, वर्ष 2016 में हिमाचल प्रदेश के कौसानी इसी तरह की वेधशाला शुरू की गई थी।

स्टारगेट से जुड़े अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त एस्ट्रो-फोटोग्राफर अतीश अमन ने बताया कि धरती पर संसाधनों की जरूरतें जिस तरह से बढ़ रही हैं, उसे पूरा करने में अंतरिक्ष से मदद मिल सकती है। इस दिशा में दुनियाभर के वैज्ञानिक निरंतर कार्य कर रहे हैं। नई पीढ़ी को इस रोमांचक दुनिया से जोड़ने में इस तरह की पहल उपयोगी हो सकती है।यहां आकर अंतरिक्ष विज्ञान के महत्व को करीब से समझा जा सकता है।

इस समूह के संस्थापकों में शामिल विज्ञान लेखक-प्रसारक वाई.एस. गिल ने बताया कि भारत में अधिकतर वेधशालाएं खगोलीय अनुसंधान को ध्यान में रखकर सरकारी संस्थानों द्वारा स्थापित की गई हैं, जहां आम लोग नहीं जा पाते। यह वेधशाला आम लोगोंके लिए खुली है, जहां पर्यटक, छात्र, फोटोग्राफर्स और शोधकर्ता काफी संख्या में आ रहे हैं।(इंडिया साइंस वायर)

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