M2M/इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) इको-सिस्टम को मजबूत करने के लिए कदम

भारत सरकार M2M/इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) इको-सिस्टम को मजबूत करने तथा इस क्षेत्र में व्यापक प्रसार एवं नवाचार की सुविधा के लिए कदम उठा रही है।

  • M2M का शाब्दिक अर्थ है ‘मशीन से मशीन’। यह उन अरबों उपकरणों और मशीनों की परस्पर जुड़ाव का वर्णन करता है जो इंटरनेट और एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसका मतलब यह है कि मशीनें मानव संपर्क की आवश्यकता के बिना सूचनाओं का संचार और आदान-प्रदान कर सकती हैं। कुछ प्रक्रियाएं जो समय लेने वाली या नीरस होती हैं, उन्हें स्वचालित किया जा सकता है, जिससे लोग अधिक उपयोगी या मनोरंजक गतिविधियों के लिए स्वतंत्र हो जाते हैं।
  • M2M/इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) दुनिया भर में सबसे तेजी से उभरती प्रौद्योगिकियों में से एक है, जो समाज, उद्योग और उपभोक्ताओं के लिए अत्यधिक लाभकारी अवसर प्रदान करती है।
  • इसका उपयोग बिजली, मोटरवाहन, सुरक्षा तथा निगरानी, ​​दूरस्थ स्वास्थ्य प्रबंधन, कृषि, स्मार्ट होम, उद्योग 4.0, स्मार्ट सिटी आदि जैसे विभिन्न कार्यक्षेत्रों में जुड़े उपकरणों का उपयोग करके स्मार्ट बुनियादी सुविधाएं कायम करने के लिए किया जा रहा है। मशीन से मशीन संचार एक प्रमुख भूमिका निभाने जा रहा है तथा डिजिटल इंडिया एवं मेक इन इंडिया की भारत सरकार की पहल में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
  • एम2एमएसपी सेवा प्रदाताओं और डब्ल्यूपीएएन/डब्ल्यूएलएएन कनेक्टिविटी प्रदाताओं के पंजीकरण के लिए 8 फरवरी, 2022 को दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। सिम और डब्ल्यूपीएएन/डब्ल्यूएलएएन आधारित एम2एम संचार प्रदान करने हेतु आवेदकों के लिए खुद को पंजीकृत करने की आवश्यकता है। यह टीएसपी, केवाईसी, ट्रेसबिलिटी और एन्क्रिप्शन के साथ कनेक्टिविटी जैसी चिंताओं को दूर करने में मदद करेगा। पंजीकरण देश भर में फैले दूरसंचार विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों में किया जाएगा।

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