मनकीडिया को नहीं मिलेगा पर्यावास अधिकार

-ओडिशा के मयूरभंज जिले के जंगलों में रहने वाले आदिम वलनरेब्ल आदिवासी समुदाय (Primitive Vulnerable Tribal Group-PVTG) मनकीडिया (Mankidia) को पर्यावास अधिकार देने से मना कर दिया गया है।
-मनकीडिया, ओडिशा के 13 पीवीटीजी में से एक हैं।
-हाल में जिला प्रशासन ने उन्हें राष्ट्र की मुख्य धारा में लाने तथा उनका पिछड़ापन दूर करने के लिए सिमलीपाल अभ्यारण्य क्षेत्र में उन्हें पर्यावास या हैबिटेट का अधिकार देने के लिए प्रयासरत्त था।
-ओडिशा राज्य वन विभाग ने उन्हें ऐतिहासिक ‘अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी (वनाधिकार की मान्यता) एक्ट 2006’ के तहत पर्यावास का अधिकार देेने से मना कर दिया। उनके मुताबिक सिमलीपाल में उन्हें स्थायी रूप से रहने का अधिकार देने से उन पर जंगली जानवर, विशेषकर बाघ हमला कर सकते हैं।
क्या है पर्यावास अधिकारः ‘अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी (वनाधिकार की मान्यता) एक्ट 2006’ की धारा 2(एच) में पर्यावास से तात्पर्य है आदिम जनजाति समुदाय व पूर्व-कृषि समुदाय एवं वनों में रहने वाले अन्य अनुसूचित जनजातियों को आरक्षित जंगलों एवं संरक्षित वनों में पारंपरिक या अन्य आवास क्षेत्र।
कौन हैं मनकीडियाः मनकीडिया ओडिशा के मयूरभंज जिले में सिमलीपाल अभ्यारण्य के आसपास रहते हैं और इस अभ्यारण्य में उपलब्ध सियाली फाइबर का रस्सी बनाकर अपनी जीविका चलाते हैं। वे आदिम वलनरेब्ल आदिवासी समुदाय () शामिल हैं।
क्या है आदिम वलनरेब्ल आदिवासी समुदाय ():
क्या है सिमलीपाल अभ्यारण्यः सिमलीपाल अभ्यारण्य का नामकरण वहां पाये जाने वाला सेमल या लाल सिल्क फाइबर के नाम पर पड़ा है। यह ओडिशा के मयूरभंज जिले में स्थित है। यह एक राष्ट्रीय उद्यान है। यहां भारत की तीन सबसे बड़ी जानवर प्रजातियां पायी जाती हैं_ बाघ, एशियाई हाथी व गौर। यहां साल के पेड़ बड़ी मात्र में पाये जाते हैं।
-इसे वर्ष 1973 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था।
-यह सिमलीपाल-कुल्डिहा हाथी रिजर्व जिसे मयूभंज हाथी रिजर्व भी कहा जाता है, का भी हिस्सा है।
-इसमें तीन संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं: सिमलीपाल टाइगर रिजर्व, हादगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य व कुल्डिहा वन्यजीव अभ्यारण्य
-यहां वर्ष 1979 मगर क्रोकोडाइल स्कीम आरंभ की गई।
-ओडिशा सरकार ने 1979 में इसे वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया थाा।
-भारत सरकार ने वर्ष 1994 में इसे बायोस्फेयर रिजर्व का दर्जा दिया।
मई 2009 में यूनेस्को ने इसे मैन एंड बायोस्फेयर रिजर्व कार्यक्रम के तहत बायोस्फेयर रिजर्व का दर्जा प्रदान किया गया।
-चूंकि यहां अभी भी 61 गांवों में 10,000 लोग रहते हैं इसलिए इसे अभी तक पूर्ण उद्यान का दर्जा नहीं दिया जा चुका है, इसके बावजूद कि यह बायोस्फेयर रिजर्व है।

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