भारतीय रेलवे का 2030 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य

रेल मंत्रालय ने 2030 तक भारतीय रेलवे को पूरी तरह हरित ऊर्जा से संचालित करने का लक्ष्‍य निर्धारित करने के साथ, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में कई बड़ी पहल की है।

रेलवे विद्युतीकरण, लोकोमोटिव और ट्रेनों की ऊर्जा दक्षता में सुधार के साथ स्थाई उपकरणों और प्रतिष्ठानों/स्टेशनों के लिए हरित प्रमाणन हासिल करने, डिब्बों में जैव शौचालय बनाए जाने तथा अपनी ऊर्जा जरुरतों के लिए नवीकरणीय स्रोतों पर निर्भरता तथा शून्य कार्बन उत्सर्जन को प्राप्त करना इस रणनीति का हिस्‍सा है।

भारतीय रेलवे ने 40,000 से अधिक (आरकेएम) (व्‍यस्‍त मार्गों में से 63%) का विद्युतीकरण पूरा कर लिया है, जिसमें 2014-20 के दौरान 18,605 किलोमीटर मार्ग का विद्युतीकरण कार्य किया गया है।

भारतीय रेलवे ने वर्ष 2020-21 के लिए 7000 किलोमीटर मार्ग के विद्युतीकरण का लक्ष्य तय किया है। व्‍यस्‍त नेटवर्क के सभी मार्गों के दिसंबर 2023 तक विद्युतीकरण करने की योजना बनाई गई है।

भारतीय रेलवे ने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए भी कई पहल की है। यह रूफ टॉप सोलर पैनल (डेवलपर मॉडल) के माध्यम से 500 मेगा वाट (एमडब्‍ल्‍यू्) ऊर्जा क्षमता का दोहन करने के लिए काम कर रहा है।

अब तक, 900 स्टेशनों सहित विभिन्न इमारतों की छतों पर 100 मेगा वाट क्षमता वाले सौर संयंत्र लगाए गए हैं। 400 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाले सौर संयंत्र निष्पादन के विभिन्न चरणों में हैं। इनमें से 245 मेगावाट क्षमता वाले सौर संयंत्रों के लिए निविदाएं जारी कर दी गई हैं। दिसंबर 2022 तक इन संयंत्रों को पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है।

इसके अलावा, भारतीय रेलवे अपनी जमीन पर भी सौर संयंत्र लगाने की कोशिश में है। भारतीय भारतीय रेलवे के पास 20 गीगावॉट क्षमता वाले सौर संयंत्र स्थापित करने के लिए 51,000 हेक्टेयर भूमि है। इन संयंत्रों से उत्पन्न होने वाली बिजली की केंद्र/राज्यों के ग्रिडों या सीधे 25 केवी एसी कर्षण प्रणाली को आपूर्ति की जाएगी । रेलवे एनर्जी मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड भारतीय रेलवे की एक संयुक्त उपक्रम कंपनी है जिसमें रेलवे की (49%) और राइट्स लिमिटेड की (51%) हिस्‍सेदारी है। इस कंपनी को रेलवे की जमीन पर लगाए जाने वाले सौर संयंत्रो का काम देखने की जिम्‍मेदारी दी गई है।

दुनिया में अपनी तरह की पहली सौर परियोजना: भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) के सहयोग से बीना (मध्य प्रदेश) में 1.7 मेगावाट की ऐसी एक परियोजना पहले ही स्थापित की जा चुकी है और वर्तमान में व्यापक परीक्षण की प्रक्रिया में है। यह दुनिया में अपनी तरह की पहली सौर परियोजना है।

पवन ऊर्जा: पवन ऊर्जा क्षेत्र में, 103 मेगावाट पवन आधारित बिजली संयंत्रों को पहले ही चालू कर दिया गया है। इनमें 26 मेगावाट क्षमता वाली परियोजना राजस्थान के जैसलमेर में, 21 मेगावाट क्षमता वाली परियोजना तमिलनाडु में और 56.4 मेगावाट क्षमता वाली परियोजना महाराष्ट्र के सांगली में है। भारतीय रेलवे ने तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक में अगले 2 वर्षों में 200 मेगावाट क्षमता वाले पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की भी योजना बनाई है।

जैव-शौचालय: हरित पहल के तहत भारतीय रेलवे ने अपनी रेलगाडि़यों के कुल 69,000 डिब्‍बों में 2,44,000 से अधिक जैव-शौचालय लगाए हैं।

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