तीन आवश्‍यक ‘एस’ – स्‍कोप, स्‍केल और स्‍पीड : एक प्रतिबिंब’

  • वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने पोलैंड के काटोवाइस में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍त राष्‍ट्र फ्रेमवर्क कन्‍वेंशन से संबंधित ‘सीओपी 24’ के दौरान अलग से आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ‘जलवायु वित्त से जुड़े तीन आवश्‍यक ‘एस’ – स्‍कोप, स्‍केल और स्‍पीड : एक प्रतिबिंब’ के शीर्षक वाला परिचर्चा पत्र जारी किया।
  • परिचर्चा पत्र में जलवायु वित्त से जुड़े तीन आवश्‍यक तत्‍वों यथा स्‍कोप (दायरा), स्‍केल (मात्रा) और स्‍पीड (गति) का विस्‍तार से विश्‍लेषण किया गया है।
  • जहां एक ओर विकासशील देशों की वित्तीय आवश्‍यकताएं लाखों करोड़ (ट्रिलियन) डॉलर में हैं, वहीं दूसरी ओर जलवायु वित्त से जुड़ी सहायता के साथ-साथ इसमें वृद्धि के लिए विकसित देशों द्वारा व्‍यक्‍त की गई प्रतिबद्धताएं स्‍पष्‍ट रूप से वास्‍तविकता में तब्दील नहीं होती हैं।
  • जलवायु वित्त के बारे में सटीक जानकारी देने और इस पर करीबी नजर रखने से संबंधित मसला भी ठीक इतना ही महत्‍वपूर्ण है। परिचर्चा पत्र (डिस्‍कशन पेपर) में विकसित देशों द्वारा जलवायु वित्त के बारे में दिए गए विभिन्‍न आंकड़ों पर गंभीर चिंता जताई गई है।
  • विभिन्‍न रिपोर्टों में जलवायु परिवर्तन से जुड़े वित्त की जिन परिभाषाओं का उपयोग किया गया है वे यूएनएफसीसीसी (जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍त राष्‍ट्र फ्रेमवर्क कन्‍वेंशन) के प्रावधानों के अनुरूप नहीं हैं। इस संबंध में जिन पद्धतियों का उपयोग किया गया वे भी संशययुक्‍त थीं।
  • इस पेपर में उन आवश्‍यक तत्‍वों की धीरे-धीरे पहचान करने की कोशिश की गई है जो विकसित देशों से विकासशील देशों की ओर प्रवाहित होने वाले जलवायु वित्त के सुदृढ़ एवं पारदर्शी लेखांकन के लिए आवश्‍यक हैं।
  • दिसंबर 2018 में काटोवाइस में आयोजित सीओपी (कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज) – 24 में भाग ले रहे विभिन्‍न पक्षकारों को जलवायु वित्त से जुड़े इन महत्‍वपूर्ण सवालों का हल निकालने की जरूरत है।
  • काटोवाइस में आयोजित यूएनएफसीसीसी से संबंधित सीओपी 24 में भारत अपनी रचनात्‍मक भूमिका आगे भी निभाता रहेगा, इसलिए यह उम्‍मीद की जाती है कि यह प्रतिबिंब पत्र इसमें होने वाली परिचर्चाओं के दौरान विभिन्न हितधारकों के लिए उपयोगी साबित होगा।

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